निगम प्रशासन ने रायपुर, दुर्ग और भिलाई के गैरेज संचालकों को पत्र लिखा है। निगम से सर्विसिंग और मेंटनेंस के लिए आने वाली गाडिय़ों का नंबर सहित जानकारी मांगी है। साथ ही यह भी पूछा गया है कि गाडिय़ां कब आई। कितने दिनों तक गैरेज में खड़ी रही। मेंटनेंस के बाद गैरेज से गाड़ी कब निकली।
डीजल की खपत में १००० लीटर कमी की जांच का विषय बनी। वजह जानने जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने २०१६-१७ के बिल वाउचर की जांच की, तब यह बात सामने आई कि २०१६ में कम्पैक्टर, ऑटो, बैकहो लोडर, मेंटनेंस और सर्विसिंग के लिए गैरेज में दिनों तक खड़ी थी। उन गाडिय़ों के नंबर पर भी डीजल का टोकन जारी किया गया है।
किवार से अधिग्रहित किए गए वाहनों का निगम के पास दस्तावेज भी नहीं है। आरटीओ में वाहनों का पंजीयन नहीं है। पुरानी मोटर सायकल और कार के नंबर वाहनों पर लिखा गया है। ऑटो बिना नंबर के चल रहा है। इनकी शिकायत भी गई। बावजूद निगम प्रशासन ऐसे वाहनों से कचरा परिवहन का काम ले रही है। प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेंद्र मिश्रा ने बताया कि दस्तावेज की जांच चल रही है। जांच में जो भी गड़बडिय़ां सामने आएगी उसका साक्ष्य जुटाया जाएगा। फिर प्रतिवेदन तैयार किया जाएगा।