15 साल में पहली बार बढ़ाया शुल्क
बिलंब शुल्क की मौजूदा दर २००३ से लागू थी। २८ मई २००४, 2 फरवरी 2005, 28 मार्च 2006, 17 मार्च 2007 और 16 मई 2008 की सामान्य सभा की बैठक में विलंब शुल्क का मामला एजेंडा में लाया गया। सदन हर बार भवन निर्माण की समयावधि एक-एक साल बढ़ाता रहा, लेकिन विलंब शुल्क की दर में कोई पविर्तन नहीं किया। २००८ के बाद से महापौर परिषद और सामान्य सभा में प्रकरण प्रस्तुत ही नहीं हुआ। लोग अब तक पूर्व निर्धारित दर पर विलंब शुल्क जमा कर भवन का निर्माण, नामांतरण एवं लीज नवीनीकरण कराते रहे हैं।
बिलंब शुल्क की मौजूदा दर २००३ से लागू थी। २८ मई २००४, 2 फरवरी 2005, 28 मार्च 2006, 17 मार्च 2007 और 16 मई 2008 की सामान्य सभा की बैठक में विलंब शुल्क का मामला एजेंडा में लाया गया। सदन हर बार भवन निर्माण की समयावधि एक-एक साल बढ़ाता रहा, लेकिन विलंब शुल्क की दर में कोई पविर्तन नहीं किया। २००८ के बाद से महापौर परिषद और सामान्य सभा में प्रकरण प्रस्तुत ही नहीं हुआ। लोग अब तक पूर्व निर्धारित दर पर विलंब शुल्क जमा कर भवन का निर्माण, नामांतरण एवं लीज नवीनीकरण कराते रहे हैं।
निगम का कहना है निगम के राजस्व अधिकारी अशोक द्विवेदी का कहना है कि लीज डीड की शर्तों के अनुसार निर्धारति अवधि में निर्माण नहीं करने पर निगम चाहे तो लीज निरस्तीकरण की कार्रवाई कर सकता है, लेकिन रियायत देते हुए विलंब शुल्क में मामूली वृद्धि करते हुए वर्ष २०२० तक निर्माण की अनुमति दी गई है।
इसलिए विलंब शुल्क लोगों ने योजनाओं के तहत भूखंड तो ले लिए हैं, लेकिन १५-20 वर्षों से निर्माण नहीं करने से निगम को भवन अनुज्ञा और संपत्तिकर के रूप में राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसलिए विलंब शुल्क लेकर इस नुकसान की भरपाई की जाती है।