रिसर्च सेंटर को चालू करते समय जब कम्प्यूटर को चालू किया गया तो सारे कम्प्यूटर ब्लाक हो चुके थे। कर्मचारियों ने सर्वर को चेक किया वह भी ब्लाक हो चुका था। उसकी जगह एक नया विंडो जनरेट हुआ था। जिस पर सर्वर को चालू करने के लिए मेल पर सपंर्क करने कहा था। मेल करने पर खुलासा हुआ कि किसी ने सर्वर को हैक कर लिया। चालू करने ४ लाख मांगे हैं।
दिए गए मेल एड्रेस में मैसेज करने पर जवाब आया कि सर्वर को चालू करने 0.9 बिटक्वाइन देना होगा। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 1 बिटक्वाइन में कुल 4.50 लाख रुपए होता। सर्वर हैक करने वाले ने 0.9 विटक्वाइन की डिमांड की है। अधिकारियों का कहना है कि बिटक्वाइन में लेनदेन करने पर रुपए कहां से निकाला गया है और डिमांड किसने की है यह पता लगाना बेहद कठिन है।
बिटक्वाइन एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी है। एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने इसे प्रचलन में लाया था। कंप्यूटर नेटवर्क के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी मध्यस्थता के ट्रांजेक्शन किया जा सकता है। डिजिटल करेंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। डॉलर व अन्य मुद्राओं की तरह खरीद-फरोख्त होती है।
मोहन नगर पुलिस ने ठगी के एक अन्य मामले में आइटी एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक उरला निवासी सूर्यप्रकाश यादव (४८ वर्ष) का एटीएम ब्लाक हो गया था। उसने स्टेशन रोड स्थित एसबीआइ ब्रांच में शिकायत की थी।
इसी बीच मोबाइल पर फोन आया और जानकारी दी कि वे एटीएम ब्लाक को खोलना चाहते हैं। इसके लिए मोबाइल में वन टाइम पासवर्ड दिया जा रहा है उसे तत्काल बताना है। मजदूरी करने वाले सूर्यप्रकाश यादव ने जैसे ही पासवर्ड की जानकारी दी उसके खाते से 9999 रुपए निकाल लिया गया। घटना ९ फरवरी २०१८ की है। बैंक पहुंचने पर खुलसा हुआ कि वह ठगी का शिकार हुआ है।