घर परिवार में भी एकता नहीं बल्कि विद्रोह की स्थिति सरोज के भाई और भाभी द्वारा निर्दलीय चुनाव के ऐलान को अभी तक टिकट कटने की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा था। पार्टी के पदाधिकारी भी इसे तत्काल गुस्से में उठाया जाना वाला कदम मानकर चल रहे थे और बाद में मामला और गुस्सा दोनों शांत होने की उम्मीद लगाए थे। अब चूंकि नामांकन दाखिल हो गया तो देखना यह है कि इस मामले में पार्टी और संगठन की ओर से फिर मान-मनौव्वल किया जाएगा या सीधे अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी। पार्टी संगठन को रुठों को मनाने का एक मौका नाम वापसी तक मिला हुआ है। नाम वापसी के बाद भी वे मैदान में डटी रहीं तो पार्टी प्रत्याशी की मुश्किल भी बढ़ेगी। वहीं चारुलता के इस कदम से सरोज की राजनीतिक करियर और छवि पर विपरीत असर पडऩे से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। यदि नाम वापसी तक सरोज अपनी भाभी को मना नहीं पाई तो यह भी संदेश जाएगा कि चुनाव लडऩे की लालसा को लेकर घर परिवार में भी एकता नहीं बल्कि विद्रोह की स्थिति है।
पति राकेश पांडेय थे साथ मेंनामांकन दाखिले के कलेक्टोरेट पहुंची चारुलता के साथ महिला कार्यकर्ताओं के अलावा उनके पति राकेश पांडेय साथ थे। नामांकन दाखिल के पहले कलेक्टोरेट गेट में एक-दूसरे को फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया और शुभकामनाएं दी। उन्होंने इस दौरान अपने पुराने बयान और बातें दोहराई कि मैं पति धर्म निभा रहा हूं।
भाभी चारूलता के मामले में खामोशी ओढ़ ली
बता दें कि कल गुरुवार को वैशाली नगर विधानसभा की टिकट को लेकर अपने ही घर में घिरीं राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पांडेय ने अब तक की घटनाक्रमों को सामान्य व स्वाभाविक करार देकर जवाब से बचने का प्रयास किया। उन्होंने भाई राकेश पांडेय के विद्रोह को स्वाभाविक बताया, वहीं भाभी चारूलता के मामले में खामोशी ओढ़ ली। राष्ट्रीय महामंत्री ने वैशाली नगर से जुड़े सवालों को कांग्रेस और पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल की ओर मोड़कर जीत का दावा किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस कही भी मुकाबले की स्थिति में नहीं है। जिले में इस बार भाजपा की जीत की शुरूआत प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र से होगी।