इस प्रकरण में खास बात यह थी कि ट्रक चालक शैलेन्द्र सिंह को खून से लथपथ देख उसे अस्पताल पहुंचाने पत्नी सुमन अपने अबोध बच्चे अर्शदीप को लेकर लोगों के सामने मिन्नते करते रही, लेकिन उसकी मदद किसी ने नहीं की।
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आरोपी के पुत्र बाबी ने भी आधे रास्ते पर ले जाकर छोड़ दिया। इसी बीच रास्ते में शैलेन्द्र सिंह की मौत हो गई। इस घटना में सुमन कौर ही चश्मदीद गवाह थी। न्यायालय ने फैसले के लिए उसके बयान को आधार बनाया। न्यायालय ने कहा कि घटना प्रमाणित है। इसमें किसी तरह की उदारता नहीं बरती जा सकती।
आरोपी के पुत्र बाबी ने भी आधे रास्ते पर ले जाकर छोड़ दिया। इसी बीच रास्ते में शैलेन्द्र सिंह की मौत हो गई। इस घटना में सुमन कौर ही चश्मदीद गवाह थी। न्यायालय ने फैसले के लिए उसके बयान को आधार बनाया। न्यायालय ने कहा कि घटना प्रमाणित है। इसमें किसी तरह की उदारता नहीं बरती जा सकती।
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एपीपी केडी त्रिपाठी ने बताया कि 21 सिंतबर 2016 को दोषी ने अपने चचेरे भाई को परिवार सहित खाने पर बुलाया था। फिर छत पर ले जाकर विवाद हुआ और आरोपी ने चाकू मारकर हत्या की थी। मृतक की आवाज सुनकर उसकी पत्नी छत पर पहुंची तो अभियुक्त चाकू लिए खड़ था। पति लहूलुहान पड़ा हुआ था। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चालान पेश किया था।
एपीपी केडी त्रिपाठी ने बताया कि 21 सिंतबर 2016 को दोषी ने अपने चचेरे भाई को परिवार सहित खाने पर बुलाया था। फिर छत पर ले जाकर विवाद हुआ और आरोपी ने चाकू मारकर हत्या की थी। मृतक की आवाज सुनकर उसकी पत्नी छत पर पहुंची तो अभियुक्त चाकू लिए खड़ था। पति लहूलुहान पड़ा हुआ था। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चालान पेश किया था।