इन आरोपों के कारण हटाए गए सीईओ
0 धान खरीदी के दौरान सीईओ निवसरकर ने बालोद व बेमेतरा के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के प्रबंधकों को पत्र जारी किया था, जिसमें धान खरीदी करने के लिए टोकन जारी नहीं करने का निर्देश दिया गया था। सीईओ ने इसके लिए सचिव के आदेश का हवाला दिया था, जबकि शासन के किसी भी सचिव ने टोकन जारी नहीं करने का निर्देश जारी नहीं किया था। इससे धान खरीदी में व्यवधान और किसानों में भ्रम की स्थिति बनीं।
0 जिला सहकारी बैंक को विपणन संघ से धान खरीदी के एवज में किसानों को भुगतान के लिए 281.50 करोड़ जारी किया गया। यह राशि किसानों के खाते में डालना था, लेकिन किसानों के खाते में केवल 200.44 करोड़ रुपए ही डाले गए। शेष 81.06 करोड़ किसानों को भुगतान नहीं किया गया। इस तरह उच्च कार्यालय के आदेश का पालन नहीं किया गया।
हाईकोर्ट ने कर दिया था स्टे खारिज
मामले में शो-कॉज में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने धान खरीदी के टोकन को लेकर भ्रामक आदेश जारी करने और शासन द्वारा जारी राशि में से 81 करोड़ से ज्यादा किसानों के खाते में जमा नहीं कराए जाने के मामले में सीईओ निवसरकर को पद से हटाने का आदेश जारी किया था। इसके बाद निवसरकर ने हाईकोर्ट में स्टे के लिए याचिका लगाई थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
संचालक मंडल ने नहीं दिया ध्यान
सीईओ के शो-कॉज पर जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने के बाद पंजीयक सहकारी संस्थाएं धनंजय देवांगन ने सहकारी बैंक के संचालक मंडल को सीईओ निवसरकर को हटाने के निर्देश दिए। इस संबंध में उन्होंने 8 जनवरी को निर्देश जारी किए थे। उन्होंने इसके लिए 15 दिन का समय दिया था, लेकिन संचालक मंडल ने ध्यान नहीं दिया और सीईओ स्थगन याचिका लेकर हाईकोर्ट चले गए। इसके बाद प्रबंध संचालक ने खुद पद से हटाए जाने का आदेश जारी किया है।
ईओडब्ल्यू के भी निशाने पर निवसरकर
इससे पहले 6 जनवरी को आर्थिक अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भी सीईओ एसके निवसरकर के घर में दबिश देकर जांच की थी। ईओडब्ल्यू की टीम ने सहकारी बैंक के दफ्तर में भी छानबीन की थी। बताया जाता है कि जांच में सीईओ के घर से करोड़ों की संपत्ति, मकान, जमीन के दस्तावेज, गाडिय़ा, नगदी और लॉकर में लाखों रुपए पाए गए। इसके अलावा बड़ी मात्रा में सोने-चांदी के जेवर मिलने के खबर है।