सीएसवीटीयू से पीएचडी में यह तीसरा मर्तबा है जब विवि ने लचर व्यवस्था का प्रमाण दिया। इससे पहले के दौ बैच भी पूरी तरह से विवादों में घिरे रहे। पुराने बैच के अभ्यर्थियों को पीएचडी अवॉर्ड ही नहीं हो पाई। अब नए बैच के लिए प्रवेश परीक्षा में भी अधूरी तैयारी सामने आई। विवि प्रशासन खुद ही इस बात की पुष्टि कर रहा है कि प्री-पीएचडी के लिए जो आवेदन आए थे, उनकी जांच, पात्र आवेदकों की स्क्रूटनी के काम पूरे हुए ही नहीं।
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने इस साल एक हजार छात्रों की पीएचडी प्रवेश परीक्षा ली, यानी सीएसवीटीयू से तीन गुना अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए। इस तरह हेमचंद विवि ने सीएसवीटीयू के अभ्यर्थी एकाएक घटा दिए। विज्ञान के विषयों के लिए अभ्यर्थी डीयू को प्राथमिकता दी। यही नहीं आइआइटी भिलाई ने भी पीएचडी कराने के लिए अधिसूचना पहले ही जारी कर दी। इसका भी फर्क सीएसवीटीयू में नजर आया।
कुल मिलाकर विज्ञान के विषयों में पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों ने सीएसवीटीयू में अधिक आवेदन किए ही नहीं। तीन बैच में यह पहली मर्तबा है जब सीएसवीटीयू को प्रवेश परीक्षा के इतने कम आवेदन मिले। बावजूद इसके विवि तैयारी पूरी कर परीक्षा कराने में कामयाब नहीं हो पाया।