इस शिकायत पर वकील बेटे ने अपनी सफाई में कहा कि 15 लाख रुपए की राशि उसके संज्ञान में है। जिसका संचालन वो 2015 से स्वयं कर रहा था। फिर उस राशि को उसने निकालकर आवेदक के नाम पर मेन पोस्ट ऑफिस में सीनियर सिटीजन के रूप में जमा कराया था। उसने बताया कि दुर्ग पोस्ट आफिस से आवेदक ने 15 लाख रुपए निकाल लिया है। यह खाता ज्वांइट खाता नहीं है लेकिन नॉमिनी में नाम उसी का है। उसने पास बुक की कॉपी आयोग को मुहैया कराई जिसमें 15 लाख की राशि जिसका आहरण हो चुका है। आयोग ने वस्तुस्थिति को समझा और पाया कि बुजुर्ग महिला कम पढ़ी- लिखी है और अनावेदक सरकारी वकील है और अनावेदक ने शातिर तरीके से दस्तावेजों को गढ़ा गया है। जिससे कि वह अपनी बुजुर्ग मां का जीवन यापन के लिए राशि देने से बच सके। क्योंकि अनावेदक के पास ही बैंक से संबंधित सभी कागजात थेे, इसलिए आयोग को शंका है कि अनावेदक ने ही मां के हस्ताक्षर का दुरूपयोग कर 15 लाख की राशि का आहरण किया है क्योकि बिना वांछित कागजात के आवेदक पोस्ट ऑफिस से राशि निकालकर खाता बंद नहीं करवा सकती। इसके पुष्टि के लिए आयोग ने पोस्ट आफिस से सीसीटीवी फुटेज और अन्य जानकारी भी मुहैया कराने के लिए कहा है।
एक अन्य प्रकरण में पति और पत्नी भी आपसी विवाद को लेकर आयोग के समक्ष पहुंचे थे। जहां आयोग ने उन्हें बच्चों का हवाला देते हुए, आपसी संबंध में सुधार लाने की हिदायत दी। आयोग ने उनके लिए तीन कांउसलर भी नियुक्त किए। दोनों पक्षों को लगातार काउसिलिंग कर सकारात्मक निर्णय लेने का सुझाव दिया गया। टीम का गठन भी किया गया। आवेदक ने अनावेदक के ऊपर एक्ट्रा मेरिटल अफेयर और घरेलू हिंसा से संबंधित शिकायत की थी। एक अन्य प्रकरण में आवेदक ने आयोग को बताया है कि उसके पति ने बिना तलाक के दूसरी शादी कर ली है। उसने प्रमाण के तौर पर अपने मोबाईल से फोटो भी दिखाया। आवेदक ने दूसरी पत्नी को पक्षकार बनाया, जो कि आज वह अनुपस्थित थी। पति ने इसे स्वीकार किया और अनावेदक अपनी गलती का माफी मांगने के लिए तैयार है। आयोग की ओर से रामकली यादव, पूजा मोगरी, नीलू ठाकुर को इस प्रकरण की काउंसलर नियुक्त किया गया है।