मृत्यु के बाद होने वाले क्रिया कर्म को भी वह जीवित रहते हुए कर चुकी है। जैन श्रमण संघ के नवीन संचेती ने बताया कि उनकी इच्छा अनुसार परिवार एवं जैन समाज के वरिष्ठ सदस्यों की आज्ञा से श्रीप्रकाश मुनि की आज्ञानुवर्तनी साध्वी श्रीगीता महाराज साहब के मुखारविंद से हुलासी देवी को जैन साधु दीक्षा प्रदान की गई। उनका नया नाम हुलासी श्रीजी प्रदान किया गया। समरथ गछ के संत श्रीउत्तम मुनि महाराज के प्रति अपार श्रद्धा भक्ति रखने वाली तथा जैन समाज के संत सतियों की हमेशा सेवा भक्ति करने वाली संथारा साधिका हुलासी देवी श्रीश्रीमाल ने सन 2013 धर्म के मर्म को समझते हुए अपना एक मृत्यु पत्र बनवा लिया था।
विगत 10 दिनों से फेफड़े में संक्रमण के कारण उनका इलाज नारायणा हॉस्पिटल रायपुर में चल रहा था। स्वास्थ्य में सुधार नहीं आने की स्थिति देखकर परिवार के सदस्यों ने उन्हें घर लाने का निर्णय लिया। दुर्ग के प्रेम कुंज में मंगल पाठ का श्रवण एवं सभी जीवों से क्षमा याचना करते हुए उन्हें सुधर्म जैन पोषघशाला बांघा तालाब दुर्ग में जैन साधु दीक्षा साध्वी गीता महाराज साहब के द्वारा दिलाई गई। इस संक्षिप्त कार्यक्रम के दौरान जैन समाज के सभी संघ प्रमुख विशेष रुप से उपस्थित थे।