scriptपार्षद की माता ने लिया संथारा, सात साल पहले मृत्यु पत्र लिखकर कहा मौत के बाद परिवार न कराए मृत्युभोज | Councilor mother took santhara in Durg, took initiation from Jain muni | Patrika News
दुर्ग

पार्षद की माता ने लिया संथारा, सात साल पहले मृत्यु पत्र लिखकर कहा मौत के बाद परिवार न कराए मृत्युभोज

हुलास देवी वरिष्ठ पार्षद मदन जैन व सहेली ज्वेलर्स के संचालक सुनील जैन, अनिल जैन एवं राजेंद्र जैन की माता हैं। उन्होंने सात साल पहले ही अपना एक मृत्यु पत्र बनवा लिया है। (santhara in durg)

दुर्गSep 27, 2020 / 02:20 pm

Dakshi Sahu

पार्षद की माता ने लिया संथारा, सात साल पहले मृत्यु पत्र लिखकर कहा मौत के बाद परिवार न कराए मृत्युभोज

पार्षद की माता ने लिया संथारा, सात साल पहले मृत्यु पत्र लिखकर कहा मौत के बाद परिवार न कराए मृत्युभोज

दुर्ग. जैन समाज की वरिष्ठ श्राविका हुलास देवी श्रीश्रीमाल धर्मपत्नी स्वर्गीय मोहनलाल श्रीश्रीमाल ने संथारा का संकल्प लेने के साथ वैराग्य भी ले लिया। हुलास देवी वरिष्ठ पार्षद मदन जैन व सहेली ज्वेलर्स के संचालक सुनील जैन, अनिल जैन एवं राजेंद्र जैन की माता हैं। उन्होंने सात साल पहले ही अपना एक मृत्यु पत्र बनवा लिया है। जिसमें परिवार के सभी सदस्यों को इसकी सूचना भी दी थी। इस पत्र पर उन्होंने अपनी भावना व्यक्त की थी कि मेरी मृत्यु संथारा में ही हो। मेरी मृत्यु के पश्चात किसी भी तरह का कोई सामाजिक आडंबर ना हो। उन्होंने मृत्यु भोज न करने व अंतिम संस्कार के बाद स्नान कर दुकान खोल लेने की बात भी लिखी है।
दीक्षा के बाद बनीं हुलासी श्रीजी
मृत्यु के बाद होने वाले क्रिया कर्म को भी वह जीवित रहते हुए कर चुकी है। जैन श्रमण संघ के नवीन संचेती ने बताया कि उनकी इच्छा अनुसार परिवार एवं जैन समाज के वरिष्ठ सदस्यों की आज्ञा से श्रीप्रकाश मुनि की आज्ञानुवर्तनी साध्वी श्रीगीता महाराज साहब के मुखारविंद से हुलासी देवी को जैन साधु दीक्षा प्रदान की गई। उनका नया नाम हुलासी श्रीजी प्रदान किया गया। समरथ गछ के संत श्रीउत्तम मुनि महाराज के प्रति अपार श्रद्धा भक्ति रखने वाली तथा जैन समाज के संत सतियों की हमेशा सेवा भक्ति करने वाली संथारा साधिका हुलासी देवी श्रीश्रीमाल ने सन 2013 धर्म के मर्म को समझते हुए अपना एक मृत्यु पत्र बनवा लिया था।
स्वास्थ्य में सुधार न होने पर लाए घर, चल रहा मंगलपाठ
विगत 10 दिनों से फेफड़े में संक्रमण के कारण उनका इलाज नारायणा हॉस्पिटल रायपुर में चल रहा था। स्वास्थ्य में सुधार नहीं आने की स्थिति देखकर परिवार के सदस्यों ने उन्हें घर लाने का निर्णय लिया। दुर्ग के प्रेम कुंज में मंगल पाठ का श्रवण एवं सभी जीवों से क्षमा याचना करते हुए उन्हें सुधर्म जैन पोषघशाला बांघा तालाब दुर्ग में जैन साधु दीक्षा साध्वी गीता महाराज साहब के द्वारा दिलाई गई। इस संक्षिप्त कार्यक्रम के दौरान जैन समाज के सभी संघ प्रमुख विशेष रुप से उपस्थित थे।
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