उल्लेखनीय है कि सप्ताह भीतर यह दूसरा प्रकरण है जिसमें न्यायालय ने ठेका कंपनी के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश दिए हैं। इसके पहले यात्री ट्रेनों की धुलाई करने उपयोग में लाए जाने वाले एसिड व केमिकल घटिया कंपनी का यूज करने के मामले में अपराध दर्ज करने का आदेश दिया गया था। ड्रेस कोड के नाम पर श्रमिकों से रुपए लेने के मामले में न्यायालय ने रेल्वे अधिकारी समरकर , पी.के बेसरा, नरेन्द्र सरवटे को दोषमुक्त कर दिया है।
यह है मामला
दुर्ग रेलवे स्टेशन से निकलने वाली ट्रेनों की साफ-सफ ाई और आन बोर्ड हाउस कीपिंग सर्विस का कार्य रेलवे ठेका पर ए.टू जेड कंपनी को 2015 में दी थी। कोलकाता की इस कंपनी ने 1 अगस्त 2015 को काम शुरू किया। श्रमिकों को काम पर रखने के पहले ड्रेस के नाम पर सभी श्रमिकों से 1000 लिए थे। जिसकी शिकायत श्रमिकों ने रेलवे के अधिकारियों से की थी। लेकिन रेलवे अधिकारियों ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। आप पार्टी के मेहरबान सिंह के नेतृत्व में हस्ताक्षर अभियान चलाने और प्रदर्शन करने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर 2018 में श्रमिक चोआ राम चिन्दा ने न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया था।
दुर्ग रेलवे स्टेशन से निकलने वाली ट्रेनों की साफ-सफ ाई और आन बोर्ड हाउस कीपिंग सर्विस का कार्य रेलवे ठेका पर ए.टू जेड कंपनी को 2015 में दी थी। कोलकाता की इस कंपनी ने 1 अगस्त 2015 को काम शुरू किया। श्रमिकों को काम पर रखने के पहले ड्रेस के नाम पर सभी श्रमिकों से 1000 लिए थे। जिसकी शिकायत श्रमिकों ने रेलवे के अधिकारियों से की थी। लेकिन रेलवे अधिकारियों ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। आप पार्टी के मेहरबान सिंह के नेतृत्व में हस्ताक्षर अभियान चलाने और प्रदर्शन करने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर 2018 में श्रमिक चोआ राम चिन्दा ने न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया था।
प्रस्तुत करेंगे पुनरीक्षण याचिका
आप पार्टीके मेहरबान सिंह ने बताया कि न्यायालय ने रेल्वे के अधिकारी समरकर ,पी.के बेसरा, नरेन्द्र सरवटे को इस प्रकरण से उन्मोचित किया है। श्रमिक के अधिकारों के हनन में रेलवे अधिकारी जिम्मेदार है। इसलिए रेलवे अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर कराने वे न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर करेंगे।
आप पार्टीके मेहरबान सिंह ने बताया कि न्यायालय ने रेल्वे के अधिकारी समरकर ,पी.के बेसरा, नरेन्द्र सरवटे को इस प्रकरण से उन्मोचित किया है। श्रमिक के अधिकारों के हनन में रेलवे अधिकारी जिम्मेदार है। इसलिए रेलवे अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर कराने वे न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर करेंगे।