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श्रमिकों के ड्रेस कोड की आड़ में रेलवे की ठेका कंपनी ने किया लाखों का हेरफेर, शिकायत पर दर्ज हुआ अपराध

locationदुर्गPublished: Feb 26, 2020 04:22:51 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

श्रमिकों से ड्रेस कोड की आड़ में 1-1 हजार लेकर लाखों रुपए क ा हेराफेरी करने वाले Railway कंपनी के खिलाफ पुलिस एफआईआर करेगी। (Durg News)

श्रमिकों के ड्रेस कोड की आड़ में रेलवे की ठेका कंपनी ने किया लाखों का हेरफेर, शिकायत पर दर्ज हुआ अपराध

श्रमिकों के ड्रेस कोड की आड़ में रेलवे की ठेका कंपनी ने किया लाखों का हेरफेर, शिकायत पर दर्ज हुआ अपराध

दुर्ग. श्रमिकों से ड्रेस कोड की आड़ में 1-1 हजार लेकर लाखों रुपए क ा हेराफेरी करने वाले कंपनी के खिलाफ पुलिस एफआईआर करेगी। इस मामले में ठेका कंपनी जी.एस.एड.आई.एस कंपनी के खिलाफ न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया था। इस परिवाद पर फैसला सुनाते न्यायाधीश हरेन्द्र कुमार नाग ने कंपनी को दोषी ठहराया और पुलिस को अपराधिक प्रकरण दर्ज कर जांच करने का निर्देश दिए है।
उल्लेखनीय है कि सप्ताह भीतर यह दूसरा प्रकरण है जिसमें न्यायालय ने ठेका कंपनी के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश दिए हैं। इसके पहले यात्री ट्रेनों की धुलाई करने उपयोग में लाए जाने वाले एसिड व केमिकल घटिया कंपनी का यूज करने के मामले में अपराध दर्ज करने का आदेश दिया गया था। ड्रेस कोड के नाम पर श्रमिकों से रुपए लेने के मामले में न्यायालय ने रेल्वे अधिकारी समरकर , पी.के बेसरा, नरेन्द्र सरवटे को दोषमुक्त कर दिया है।
यह है मामला
दुर्ग रेलवे स्टेशन से निकलने वाली ट्रेनों की साफ-सफ ाई और आन बोर्ड हाउस कीपिंग सर्विस का कार्य रेलवे ठेका पर ए.टू जेड कंपनी को 2015 में दी थी। कोलकाता की इस कंपनी ने 1 अगस्त 2015 को काम शुरू किया। श्रमिकों को काम पर रखने के पहले ड्रेस के नाम पर सभी श्रमिकों से 1000 लिए थे। जिसकी शिकायत श्रमिकों ने रेलवे के अधिकारियों से की थी। लेकिन रेलवे अधिकारियों ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। आप पार्टी के मेहरबान सिंह के नेतृत्व में हस्ताक्षर अभियान चलाने और प्रदर्शन करने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर 2018 में श्रमिक चोआ राम चिन्दा ने न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया था।
प्रस्तुत करेंगे पुनरीक्षण याचिका
आप पार्टीके मेहरबान सिंह ने बताया कि न्यायालय ने रेल्वे के अधिकारी समरकर ,पी.के बेसरा, नरेन्द्र सरवटे को इस प्रकरण से उन्मोचित किया है। श्रमिक के अधिकारों के हनन में रेलवे अधिकारी जिम्मेदार है। इसलिए रेलवे अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर कराने वे न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर करेंगे।
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