scriptनगपुरा में फर्जी दस्तावेज से बेच दी करोड़ों की सरकारी जमीन, पटवारी, कोटवार, क्रेता-विक्रेता के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश | Crores of government land sold in Nagpura through fake documents | Patrika News

नगपुरा में फर्जी दस्तावेज से बेच दी करोड़ों की सरकारी जमीन, पटवारी, कोटवार, क्रेता-विक्रेता के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश

locationदुर्गPublished: Feb 21, 2021 01:53:21 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

नगपुरा में फर्जी दस्तावेज के सहारे करीब दो करोड़ की पीडब्ल्यूडी की सरकारी जमीन बेचने के मामला उजागर हुआ है।

नगपुरा में फर्जी दस्तावेज से बेच दी करोड़ों की सरकारी जमीन, पटवारी, कोटवार, क्रेता-विक्रेता के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश

नगपुरा में फर्जी दस्तावेज से बेच दी करोड़ों की सरकारी जमीन, पटवारी, कोटवार, क्रेता-विक्रेता के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश

दुर्ग. नगपुरा में फर्जी दस्तावेज के सहारे करीब दो करोड़ की पीडब्ल्यूडी की सरकारी जमीन बेचने के मामला उजागर हुआ है। इस मामले में नगपुरा के किसान प्रशांत कुमार साहू की याचिका पर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी हरेंद्र सिंह नाग ने पटवारी भेसज साहू, कोटवार धनेश राम देवांगन सहित नगपुरा के विक्रेता यादव परिवार और गवाहों के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश पुलिस को दिया है।
इनके खिलाफ दर्ज होगा एफआइआर
नगपुरा पटवरी भेसज कुमार साहू, पटवारी कार्यालय में मुंशी का काम करने वाले कोटवार धनेश राम देवांगन, घनाराम यादव, विक्रेता नंदकुमार यादव नगपुरा, योगेश यादव भटगांव, भागवती यादव भटगांव खैरा राजनांदगांव, लीला बाई यादव कोटराभाठा राजनांदगांव, शुकवारो यादव नगपुरा, सुखमा परसबोड़, भोलाराम यादव चिखली, गवाह व पहचानकर्ता श्याम लाल वर्मा जयंती नगर दुर्ग और अवनीकांत सिंह सिंधिया नगर दुर्ग के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत अपराध दर्ज करने का आदेश पुलगांव पुलिस को दिया है। किसान प्रशांत कुमार साहू ने बताया कि पटवारी हल्का नंबर 2 नगपुरा में खैरागढ़ मुख्य मार्ग पर खसरा क्रमांक 1716 रकबा 0.35 हेक्टेयर कीमती शासकीय भूमि है। यह भूमि चकबंदी नक्शा वर्ष 1929-30 और पुराना नक्शा वर्ष 1960-61 में शासकीय मार्ग दर्ज है। इस जमीन को 20 फरवरी 2020 को फर्जी तरीके से बेच दिया गया।
खुद बताया सरकारी जमीन बेचने के लिए निजी पड़त
वर्ष 2018 में स्थानीय लोगों ने उस जमीन का सीमांकन कराया। इसकी रिपोर्ट में आरआई के साथ मौजूद पटवारी ने जमीन को शासकीय बताया। लेकिन खरीदी-बिक्री के दस्तावेज में पटवारी ने ही जमीन को निजी पड़त बताकर खसरा, बी-वन बना दिया।
बंदोबस्त त्रुटि का उठाया फायदा
याचिकाकर्ता साहू ने बताया कि वर्ष 1960-61 के बाद बंदोबस्त त्रुटि में जमीन यादव परिवार की जोतकी बाई के नाम पर आ गया था। बाद में जमीन का सीमांकन कराया गया जिसमें शासकीय बताया गया, लेकिन परिवार ने जमीन मिलीभगत कर तीन अलग-अलग लोगों को बेंच दिया। अधिकारियों ने शिकायत नहीं सुनी तब उन्होंने न्यायालय में याचिका लगाई थी।
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