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Motivational Story – दिव्यांगता को नहीं बनने दिया अभिशाप, संघर्ष कर परिवार का पालनहार बनीं अनुराग

locationदुर्गPublished: Dec 04, 2021 11:21:28 pm

Submitted by:

Hemant Kapoor

दिव्यांगता को अभिशाप मानने के बजाए चीचा की अनुराग ठाकुर ने संघर्ष का रास्ता अपनाया और अब समाज के लिए आदर्श बनकर उभरी है। आज उनका नाम उनके गांव के प्रत्येक के जुबान पर है। दिव्यांग होने के बाद भी अनुराग अपने परिवार का जीवकोपार्जन में सहयोग मनरेगा में मेट का कार्य करते हुए कर रही है।

Motivational Story - दिव्यांगता को नहीं बनने दिया अभिशाप, संघर्ष कर परिवार का पालनहार बनीं अनुराग

दिव्यांगता को नहीं बनने दिया बाधा

पाटन ब्लाक के ग्राम पंचायत चीचा की अनुराग ठाकुर एक पैर से दिव्यांग है। उनके परिवार में दो बहन और एक भाई है। बचपन में ही अनुराग के पिता की मृत्यु हो गई है। अनुराग ने स्नातक तक की पढ़ाई की है। अनुराग मेट के पद पर अपने गांव में ही काम करतीं हैं। आज वो घर के कार्यों में सहयोग भी कर रही है और उसने अपनी बहन और भाई को पढ़ाई कराकर उनका विवाह भी कराया है। एक तरह से वो घर की मुखिया है। ग्रामीण बताते है कि मेट बनने के पूर्व अनुराग ठाकुर की परिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी। शासन की महत्वपूर्ण योजना मनरेगा में चयन होने के बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर योजना के तहत कार्य करते हुए वहअपनी आजिविका का उपार्जन कर खुशहाल जिंदगी जी रही हैं।

दिव्यांगता से काम में बाधा नहीं
अनुराग ठाकुर महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में महिला श्रमिकों की भागीदारी बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देते आ रही है। कार्य स्थल पर मजदूरों को काम का आबंटन, मस्टर रोल और मजदूरों की हाजिरी और निर्धारित माप का कार्य उसकी द्वारा दक्षतापूर्वक किया जाता है।

पढ़ाई में भी नहीं रहीं पीछे
अनुराग ने स्नातक तक की पढ़ाई की है। अनुराग मेट के पद पर अपने गांव में ही काम करतीं हैं। आज वो घर के कार्यों में सहयोग भी कर रही है और उसने अपनी बहन और भाई को पढ़ाई कराकर उनका विवाह भी कराया है। एक तरह से वो घर की मुखिया है।

महिला समूहों का भी सहयोग
अनुराग ठाकुर मनरेगा के अलावा स्व सहायता समूह की महिलाओं के साथ भी कार्य करती है। शासन के महत्वूपर्ण योजनाओं में हितग्राही मूलक कार्यों को सीधे हितग्राही तक पहुंचाने के लिए गांव के निवासियों को जानकारी भी प्रदान करती है।

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