कंपनी का यह जवाब
अनावेदक कंपनी ने प्रकरण में जवाब दिया कि परिवादी ने जिस स्कीम में राशि जमा की थी वह ब्याज प्रदान करने वाली स्कीम नहीं है, बल्कि कंपनी का उत्पाद क्रय करने वाली स्कीम है। परिवादी द्वारा स्कीम अवधि 6 वर्ष में कोई उत्पाद क्रय नहीं किया गया। उत्पाद क्रय नहीं करने के कारण परिवादी को लायल्टी बोनस प्वाइंट नहीं मिला जिसके लिए परिवादी स्वयं जिम्मेदार है।
फोरम ने यह माना
प्रकरण में पेश दस्तावेजों व प्रमाणों के आधार पर जिला उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह प्रमाणित पाया परिवादी द्वारा अनावेदक कंपनी के पास 1 लाख 34 हजार 300 रुपए जमा किए गए थे। अनावेदक कंपनी ने परिवादी के निवास स्थान वाले शहर में किसी प्रकार के प्रोडक्ट बेचने के लिए स्टोर खोला है यह प्रमाणित नहीं हुआ, ऐसे में कोई व्यक्ति ऐसे किसी प्रोडक्ट को खरीदने के लिए एडवांस राशि कैसे जमा करेगा जो उसे उपलब्ध ही नहीं कराई जा सकती। इसलिए फोरम ने माना कि परिवादी ने जमा योजना के तहत ही 6 वर्ष के लिए अनावेदक के पास रकम निवेश की थी।
यह दिया फैसला
सुनवाई में फोरम ने यह भी माना कि व्यवसायिक दुराचार के साथ रकम प्राप्त की जाए तो जमा योजना के नियम एवं शर्तें ग्राहक पर बंधनकारी नहीं है इसीलिए परिवादी परिपक्वता राशि का अधिकारी है। इस पर फोरम ने कंपनी पर 3 लाख 28 हजार रुपए हर्जाना लगाया। जिसमें परिपक्वता राशि 3 लाख 17 हजार रुपए, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 20 हजार व वाद व्यय 1 हजार रुपए शामिल है। उक्त राशि पर 6 फीसदी वार्षिक दर से ब्याज अदा करने का आदेश भी पारित किया गया है।