राज्य शासन के भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम के तहत अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित जमीन की कलेक्टर दर के दोगुने राशि में इतना ही सोलेसियम (अधिग्रहण के एवज में हर्जाना) जोड़कर मुआवजा तय किया जाना था। इसकी जगह अफसरों ने पुराने 30 अक्टूबर 2018 को निरस्त किए जा चुके प्रावधान के अनुसार कलेक्टर दर और इतना ही सोलिसियम जोड़कर प्रस्ताव भेज दिया था। इससे गणना में राशि 50 फीसदी कम हो गई ।
पूर्ववर्ती सरकार ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम और राजमार्ग प्राधिकरण के नियमों के तहत कलक्टर गाइड लाइन की दर से 2 गुना व इतने ही सोलेसियम के साथ मुआवजा के प्रावधान को बदलकर एक गुना कर दिया था। इसके खिलाफ किसानों ने हाइकोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर कोर्ट किसानों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए शासन को प्रावधान के अनुरूप मुआवजा देने के निर्देश दिए थे। इसके परिपालन में विधानसभा में विधेयक की मंजूरी के बाद इसे छत्तीसगढ़ भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम के रूप में राजपत्र में दो गुना दर और इतने ही सोलेसियम को मंजूरी मुआवजा निर्धारण से पहले दे दी थी।
दुर्ग ब्लॉक के 12 गांव के 635 किसानों का करीब 113.31 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम और राजमार्ग प्राधिकरण के नियमों के तहत कलक्टर गाइड लाइन की दर से 2 गुना व इतने ही सोलेसियम के साथ मुआवजा के गणना के आधार पर गणना की जाती तो किसानों को 205 करोड़ से ज्यादा मुआवजा मिलता, लेकिन मौजूदा प्रस्ताव से केवल 100 करोड़ मिलने की संभावना है। नेशनल हाइवे ने भी केवल 100 करोड़ दिए हैं। इस तरह करीब 105 करोड़ किसानों के खाते में कम आएगा।
इधर मुआवजा सूचना पत्रक मिलने के साथ ही मामले को लेकर किसानों की नाराजगी फूटनी शुरू हो गई है। करीब 150 किसानों ने भू-अर्जन कार्यालय में आपत्ति दर्ज कराई है। किसानों ने इसे लेकर बैठक भी की है। जिसमें मंत्री की भूमिका को लेकर सवाल खड़ा करते हुए मोर्चे की रणनीति बनाई गई। इधर मंत्री ताम्रध्वज साहू ने भी केंद्रीय मंत्री गड़करी को पत्र लिखकर नियमानुसार मुआवजे की मांग की है।
इधर पाटन में किसानों के लिए मुआवजा का निर्धारण 25 नवंबर 2019 को किया गया है। यहां नियमानुसार ाज्य शासन के भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम के तहत कलेक्टर दर के दोगुने राशि में इतना ही सोलेसियम (अधिग्रहण के एवज में हर्जाना) जोड़कर यानि चार गुना मुआवजा तय किया है। पाटन में विवाद रहित मामलों में मुआवजा वितरण भी शुरू कर दिया गया है।