अभियुक्तों ने बहू की हत्या सिर्फ इसलिए की थी कि वह उन्हें पसंद नहीं थी। पुलिस ने पति देवेन्द्र मारकंडेय, ससुर भगतराम, सास सुखबती , जेठ कमलेश, जेठानी सुनीता और देवर जागेश्वर के खिलाफ चालान पेश किया था। मामले की सुनवाई तृतीय अपर सत्र न्यायालय में हुई।
न्यायालय ने दोष प्रमाणित होने पर सभी को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं 498 ए के तहत 3-3 साल कारावास की सजा सुनाई। दोनों ही मामलों में 100-100 रुपए अर्थदंड लगाया। अर्थदंड नहीं देने पर 1-1 माह अतिरिक्त कारावास की सजा भी भुगतनी होगी।
कातुलबोड़ दुर्ग निवासी बर्खास्त आरक्षक देवेन्द्र मारकंडेय (33) का विवाह वर्ष 2011 में भिलाई सेक्टर-6 निवासी प्रेमशीला (28 ) के साथ हुआ था। मृतक विवाहिता प्रेमशीला द्वारा पुलिस को दिए गए बयान के मुताबिक पति देवेन्द्र और ससुराल के लोग उसे व उसके व्यवहार को पसंद नहीं करते थे। 17 मार्च 2016 को वह मॉर्निंग वॉक और फूल तोड़कर लौटी तो पति देवेन्द्र ने उससे मारपीट की और ससुराल के लोगों ने एकराय होकर मिट्टी तेल छिड़ककर आग लगा दी।
वह गंभीर रूप से झुलस गई। उसे जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया। जहां 24 मार्च को उसने दम तोड़ दिया। इसके पहले उसकी गंभीर हालत को देखते हुए पुलिस ने मजिस्ट्रियल बयान कराया। इसमें कार्यपालिक मजिस्ट्रेट अजीत चौबे के सामने मृतका ने पति और ससुरालियों द्वारा हत्या की नीयत से मिट्टी तेल छिड़ककर आग लगाने की बात कही।