scriptPatrika Positive News: हैलो…मैं डॉ. रूद्र आपकी क्या मदद कर सकता हूं, कुछ इसी अंदाज में हर कोविड मरीज के दिल का हाल सुनते हैं डॉक्टर | Dr. Rudra of Bhilai enhances the courage of corona patients | Patrika News

Patrika Positive News: हैलो…मैं डॉ. रूद्र आपकी क्या मदद कर सकता हूं, कुछ इसी अंदाज में हर कोविड मरीज के दिल का हाल सुनते हैं डॉक्टर

locationदुर्गPublished: May 17, 2021 05:07:00 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

Patrika Positive News: पीपीई किट पहने इन डॉक्टर साहब का चेहरा तो किसी ने शायद ही देखा हो, लेकिन उनके बात करने का लहजा और उनके इलाज का अंदाज उनकी पहचान बता देता है।
 

हैलो...मैं डॉ. रूद्र आपकी क्या मदद कर सकता हूं, कुछ इसी अंदाज में हर कोविड मरीज के दिल का हाल सुनते हैं डॉक्टर

हैलो…मैं डॉ. रूद्र आपकी क्या मदद कर सकता हूं, कुछ इसी अंदाज में हर कोविड मरीज के दिल का हाल सुनते हैं डॉक्टर

भिलाई. हैलो.. मैं डॉ रूद्र.. आपकी क्या मदद कर सकता हूं.. पीपीई किट (PPE kit) पहने जब कचांदूर मेडिकल कॉलेज में मरीजों के बीच डॉ. रूद्र होते हैं तो उनका पहला शब्द यही होता है। उनके इलाज करने का तरीका ही अलग है। जब तक वे हर मरीज के पास जाकर उनका हाल-चाल न पूछ लें, उनका राउंड खत्म नहीं होता। वे केवल मरीजों को ही नहीं नहीं बल्कि उनके परिजनों को भी आत्मबल से भर देते हैं, ताकि मरीज के साथ-साथ उनकी भी मन:स्थिति भी अच्छी रहे। पीपीई किट पहने इन डॉक्टर साहब का चेहरा तो किसी ने शायद ही देखा हो, लेकिन उनके बात करने का लहजा और उनके इलाज का अंदाज उनकी पहचान बता देता है। जी हां यह है हमारे शहर के रियल हीरो जो पर्दे के पीछे रहकर अपना फर्ज निभा रहे हैं। पिछले वर्ष शुरू हुए इस कोविड सेंटर में वे शुरुआती दिनों से यहां ड्यूटी कर रहे हैं। इस बीच वे कोविड पॉजिटिव हुए तो घरवालों ने उनका ऐसा हौसला बढ़ाया कि वे चंद दिनों में ही ठीक हो गए, लेकिन उनकी वजह से जब घर वाले भी कोविड संक्रमण का शिकार हुए तो उन्होंने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि पूरे परिवार में उत्साह का ऐसा संचार किया कि अपने कोरोना वॉरियर बेटे को परिवार ने दोबारा कोविड मरीजों की सेवा के लिए दोबारा भेजा। डॉ. रूद्र का कहना है कि डॉक्टर की ट्रेनिंग ही कुछ ऐसी होती है कि वे हर परिस्थिति में खुद को मजबूत कर अपने मरीजों को ठीक करने का हौसला रखते हैं।
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दिल तक पहुंचना जरूरी
डॉ. रूद्र का मानना है कि दवा तो अपनी जगह काम करती है, लेकिन जब एक डॉक्टर मरीज के मन की बात को समझने लगता है, तो इलाज और तेजी से होने लगता है। उन्होंने कहा कि अगर हम किसी मरीज से उसका हालचाल पूछ लेते हैं या उनकी तकलीफ को जानते हैं, तो मरीज के मन में एक नया विश्वास जागता है कि डॉक्टर को सब पता है और वे उन्हें जल्दी ठीक करेंगे। वे बताते हैं कि कोविड के कई ऐसे मरीज थे, जिनके साथ न तो परिजन थे और न ही कोई केयर करने वाला, तब ऐसे मरीजों का आत्मबल बढ़ाने की जिम्मेदारी सभी मेडिकल स्टॉफ की हो जाती है। और उन्हें इस बात का सुकून है कि उनके साथ-साथ नर्सिग स्टाफ ने मरीजों का उत्साह बढ़ाने कोई कसर नहीं छोड़ी।
अकेले संभव नहीं
कोविड के ऐसे मरीज जो काफी गंभीर स्थिति में यहां आए और उन्हें स्वस्थ कर घर तक भेजने वाले डॉ रूद्र का मानना है कि कोविड से अकेले जंग नहीं लड़ी जा सकती। फिर चाहे डॉक्टर कितना अच्छा इलाज क्यों न जानता हो, जब तक उनके नर्सिंंग स्टॉफ, हॉस्टिपटल मैनेजमेंट और मरीज का रिस्पांस बेहतर न मिले तो कुछ भी संभव नहीं। उन्होंने बताया कि इस सेंटर में जब भी जिस चीज की जरूरत पड़ी, प्रशासन ने सबकुछ उपलब्ध कराया। जिससे मरीजों के इलाज में और भी आसानी होती चली गई।
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