scriptजीवन के अहंकार को गुरु की संगत ही खत्म करता है-हेमप्रभाश्री | Durg: Chaturmas sermon, Guru purnima festival, Dharm-Karma | Patrika News

जीवन के अहंकार को गुरु की संगत ही खत्म करता है-हेमप्रभाश्री

locationदुर्गPublished: Jul 09, 2017 07:48:00 pm

चातुर्मासिक प्रवचन में गुरु पूर्णिमा मनाई गई। गुरु के बिना जीवन शुरू नहीं हो सकता और जीवन को सद्मार्ग में लगाने के लिए गुरू का होना नितांत आवश्यक है।

Chaturmas sermon, Guru purnima festival, Dharm-Kar

Chaturmas sermon, Guru purnima festival, Dharm-Karma

दुर्ग. चातुर्मासिक प्रवचन श्रृखला में आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब में गुरु पूर्णिमा मनाई गई। धर्मसभा में महासती डॉ हेमप्रभाश्री, डॉ सुप्रभाश्री ने संबोधित किया। महासती हेमप्रभाश्री ने गुरु की महिमा पर भजन प्रस्तुत किया। उन्होंने गुरु की महिमा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु के बिना जीवन शुरू नहीं हो सकता और जीवन को सद्मार्ग में लगाने के लिए गुरू का होना नितांत आवश्यक है।

तीन प्रकार के गुरु शिक्षा गुरु, दीक्षा गुरु और समर्थ गुरु

धर्म सभा में महासती ने बताया कि गुरु तीन प्रकार के होते हैं, शिक्षा गुरु, दीक्षा गुरु और समर्थ गुरु। जीवन के प्रारंभिक चरण में शिक्षा गुरु हमें शिक्षा प्रदान करते हैं और हम उनसे शिक्षा ग्रहण करते हंै। दीक्षा गुरु से हम दीक्षा लेकर सद्मार्ग में चलने का प्रयास करते है और समर्थ गुरु से हम संत परम्परा को आगे बढ़ाते हुए सत्य व संयम के मार्ग में चलने की प्रेरणा लेते हैं।

Read this: Dharm-Karm:भगवान शीतलनाथ का नूतन जिनालय में मंगल प्रवेश

गुरु की सुनें और आत्मसात करें

उन्होंने कहा कि शिष्य को हमेशा सदगुरू का पल्ला पकड़कर रखना चाहिए। हमेशा गुरु के नजदीक रहें और गुरु की बात सुनें। गुरु का प्रिय हो गुरु की महिमा को सुने-जाने और आत्मसात करें।

Read this: देव स्नान पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ खूब नहाए और पड़ गए बीमार, 15 दिनों तक मंदिर के पट बंद

सदगुरु खत्म करते हैं अहंकार

राजस्थान प्रर्वतनीय डॉ सुप्रभा महाराज ने धर्मसभा में कहा कि जीवन में जो अंहकार पल रहा है, वह सदगुरू के संगत से ही खत्म हो सकता है। जीवन के अंदर त्याग के भाव को जागृत करने से गुरु और धर्म के प्रति हमारी आस्था जागती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो