scriptये क्या ऋृण लेने गया था और कंपनी ने बीमा पॉलिसी थमा दी, अब भरो डेढ़ लाख जुर्माना | Durg: Consumer forum, Forum decision, Court decision, Insurance policy, One and a half million fines, Bajaj Alliance Life Insurance Company | Patrika News

ये क्या ऋृण लेने गया था और कंपनी ने बीमा पॉलिसी थमा दी, अब भरो डेढ़ लाख जुर्माना

locationदुर्गPublished: Jun 29, 2017 07:59:00 pm

व्यावसाय के नाम पर लोन देने किश्तों में एक लाख रुपए जमा कराने के बाद जीवन बीमा पॅालिसी देने वाले कंपनी को जिला उपभोक्ता फोरम ने 1.55 लाख रुपए हर्जाना देने का निर्देश दिया है।

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दुर्ग. व्यावसाय के नाम पर लोन देने किश्तों में एक लाख रुपए जमा कराने के बाद जीवन बीमा पॅालिसी देने वाले कंपनी को जिला उपभोक्ता फोरम ने 1.55 लाख रुपए हर्जाना देने का निर्देश दिया है। उक्त राशि परिवादी को बजाज एलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी नेहरु नगर देगी। कुल राशि में एक लाख प्रीमियम के रुपए जमा कराए, 50 हजार हर्जाना और पांच हजार रुपए वाद व्यय शामिल है। परिवाद शंाति नगर जामुल निवासी टुमन लाल ठाकुर 28 साल ने प्रस्तुत किया था। जिस पर फैसला जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनाया।

मोबाइल पर ब्रोकर का काल आया कि वह उसे लोन दिला देगा

परिवादी ने फोरम को जानकारी दी थी कि व्यावसाय के लिए उसे रुपए की आवश्यकता थी। वह बैंक का चक्कर लगा रहा था। इसी बीच उसे मोबाइल पर ब्रोकर का काल आया कि वह उसे लोन दिला देगा। वह विश्वास कर उसके साथ नेहरु नगर स्थित ऑफिस पहुंचा। कर्मचारियों ने जानकारी दी कि पहले उसे मार्जिन मनी 45 हजार जमा करना होगा।

प्रति वर्ष वह एक लाख रुपए प्रीमियम जमा करें
सात नवंबर 2015 को राशि जमा करने के बाद दोबारा कहा गया कि अब सर्विस टैक्स व अन्य सेवा शुल्क के लिए 55 हजार जमा करना होगा। परिवादी ने उक्त राशि 28 दिसंबर को जमा करा दी। इसके बाद कंपनी ने उसे यह कहते हुए जीवन बीमा का बांड दिया कि प्रति वर्ष वह एक लाख रुपए प्रीमियम जमा करें।

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परिवादी ने यह भी कहा
फोरम में परिवादी ने खुलासा किया उसके साथ छल किया है। उसे रुपए की आवश्यकता थी, लेकिन कपंनी ने उससे ही रुपए ले लिए। वह कर्ज लेकर रुपए जमा किया था। उसकी माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह सालाना एक लाख रुपए निवेश कर सके।

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बचाव में कहा

अनावेदक कंपनी का कहना था कि परिवादी ने सोच समझकर पालिसी ली थी। कंपनी लोन नहीं जीवन बीमा बांड बेचने का काम करती है। आवेदनक ने पहले प्रपोजल फार्म भरा। जिसके आधार पर उसे पॉलिसी दी गई। अगर वह असंतुष्ट था तो वह 15 दिनों के अंदर आवेदन देकर अपना पैसा वापस मांग सकता था, लेकिन परिवादी ने ऐसा नहीं किया।

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फोरम का निष्कर्ष

वर्तमान में सबकी अपनी-अपनी व्यस्तम जीवन शैली है। हर व्यक्ति के पास समय कम है। व्यक्ति के पास उतना समय और संसाधन नहीं है कि एक ही कार्य के लिए संस्थान का चक्कर लगाए। कंपनी ने गलत दावा कर राशि जमा करा ली। इन्हीं आधारों पर परिवादी को मानसिक क्षति पाने का अधिकार है।

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