घटना 30 जुलाई 1996 को रात के 1 बजे बैकुंठ नगर की है। साहू लकड़ी टाल के पास आरक्षक बेनी सिंह अपने साथी प्रधान आरक्षक ईश्वरी लाल के साथ प्वाइंट ड्यूटी कर रहा था। वे हाथों में रायफल रखे हुए थे। इसी बीच शराब के नशे में धुत संजय साव अपने पड़ोसी श्याम से विवाद करने लगा। इसे देख आरक्षक बेनी सिंह संजय साव को समझाने लगा।
संजय ने आरक्षक बेनी सिंह के गाल पर थप्पड़ मार दिया और उसे पकड़कर पटकने की कोशिश की। बाद में संजय का पिता बनवारीलाल व उसका भाई त्रिलोचन भी आ गया। सभी ने मिलकर बेनी सिंह के साथ झूमा झटकी कर राइफल छीनने का प्रयास किया। प्रधान आरक्षक ईश्वरीलाल बीच बचाव करने पहुंचा तो उससे भी मारपीट की। आरक्षक ने इसकी शिकायत थाने में की थी।
घटना आरोपी संजय साव द्वारा शराब के नशे में किए जा रहे विवाद से शुरू हुआ। आरोपियों ने न्यायालीन कार्यवाहियों में लगभग 23 वर्षो तक चक्कर लगाया। उन्हें अनुभव हुआ होगा कि यह भी किसी कारावास की सजा से कम नहीं है। इसलिए इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए संजय साव व त्रिलोचन साव को धारा 353 एवं 332 के तहत दोषी ठहराते हुए जुर्माना किया जाता है।
न्यायालय ने माना कि निचली अदालत में सुनाए फैसले में धारा 506 बी, 393 के आरोप से दोषमुक्त किया है, तो उसमें कोई विधिक त्रुटि होना प्रतीत नहीं होता है,लेकिन धारा 353, 332 के आरोप से भी दोषमुक्त किया गया है, जो कि विधिक रूप से उचित प्रतीत नहीं होता है।