दोनों के खिलाफ परिवाद कोसानगर निवासी पुरुषोत्तम सोनी (58 वर्ष) ने पेश किया था। परिवाद की सुनवाई के बाद न्यायालय ने टीआई व प्रदीप जैन को प्रथम दृष्टया दोषी माना और प्रकरण पंजीबद्ध करने का आदेश दिया। बुजुर्ग पुरुषोत्तम सोनी ने न्यायालय को बताया वह अपनी पत्नी के साथ घर पर रहते हैं। उनकी कोई संतान नहीं है। प्रदीप जैन के साथ उसका एक मकान का सौदा हुआ था। जिसके लेनदेन को लेकर विवाद चल रहा था।
इसी बात को लेकर प्रदीप जैन के बेटे ने 18 जनवरी 2015 को जानबूझ कर मारूती कार उसके दरवाजे के ठीक सामने खड़ी कर दी और १५ दिनों के लिए बाहर चला गया। उन्हें अपनी पत्नी के साथ अंदर ही रहना पड़ा। वे बाहर नहीं निकल सकते थे। जैसे तैसे उस कार को हटाने के बाद जैन परिवार ने एक अन्य कार को पूर्व की तरह खड़ी कर दिया। बुश्किल से वे घर के बाहर निकलते थे। उन्हें अपनी साइकिल पड़ोसियों के यहां रखनी पड़ती थी।
घर के सामने कार खड़ी करने से परेशन पुरुषोत्तम सोनी ने पहले इसकी शिकायत सुपेला थाना में की। उसकी मदद करने के बजाय तत्कालीन टीआई जगदीश चंद्र मिश्रा आरोपी पक्ष का वकालत करने लगे। सोनी ने बाद में एसपी को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद भी पुलिस ने उसकी मदद नहीं की। तब उन्होंने न्यायालय की शरण ली।
परिवादी सोनी ने न्यायालय के समक्ष आंशका व्यक्त की है कि जैन परिवार उसकी हत्या कराना चाहता है। सोनी ने परिवाद में उल्लेख किया है कि वह वृद्ध है। उनकी कोई संतान भी नहीं है। रुपए न देना पड़े इसलिए जैन परिवार उसे परेशान कर रहा है। उसे आंशका है कि उनकी हत्या करने षडय़ंत्र रचा गया है। अधिवक्ता परिवादी रामबाबू गुप्ता ने बताया कि प्रकरण न्यायाधीश सुमित कुमार हर्षयाना के न्यायालय में विचाराधीन था। परिवाद पर फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने एफआइआर दर्ज किया है। मामले की जल्द सुनवाई शुरु होगी।