लोकसभा चुनाव के कारण प्रोजेक्ट एक माह पीछे चले गया है। पहले इसे जुलाई से हर हाल में शुरू किया जाना था। मुफ्त इलाज के पीछे शासन की मंशा है कि किसी भी मरीज को अस्पताल आने पर ओपीडी से लेकर आईपीडी तक सारी सुविधाएं बिलकुल मुफ्त मिलें। स्वास्थ्य सेवा का सारा खर्च सरकार वहन करेगी। उल्लेखनीय है कि यह बीएपीएल और एपीएल परिवार दोनों के लिए होगा। जिला अस्पातल में कैश काउंटर की जगह केवल व्यवस्था बनाए रखने के लिए नि:शुल्क पंजीयन कक्ष (टोकन सिस्टम) होगा।
वर्तमान में जिला अस्पताल का मासिक खर्च 8 से 10 लाख है। यह खर्च जीवनदीप समिति के माध्यम से किया जाता है। सफाई व्यवस्था 2 लाख, संविदा व दैवेभो का वेतन 5 लाख और अन्य खर्च 3 लाख शामिल है। अलग-अलग मद में मरीजों से लिए जाने वाला शुल्क को समिति के खाते में जमा किया जाता है। शासन की तरफ से जीवनदीप समिति के लिए बजट स्वीकृत मुफ्त इलाज होने से शासन खर्च हर माह समिति को बजट स्वीकृत करेगा।
इस योजना को शुरू करने 10 अस्पतालों की टीम दुर्ग जिला अस्पताल समेत सिविल व सामुदायिक अस्पतालों का अध्यन कर चुकी है। मार्च में दो दिनों तक केन्द्र सरकार की पूर्व स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव टीम के साथ थीं। पूरा खाका उन्हीं के मानिटरिंग में तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा मुंबई के सुनील कुमार की भी मदद ली जा रही है। सुनील कुमार दिल्ली क ी मोहल्ला क्लीनिक के एडवाइजर भी है।
ओपीडी में बढ़ेगा दबाव- वर्तमान में ओपीडी 800 और आईपीडी 300 प्रतिदिन औसत है। नई योजना से संख्या दो गुना हो जाएगी।
विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं- सबसे पहले चार नए एमडी और ट्रामा यूनिट, चिल्ड्रन एसएनसीयू के लिए न्यूरो विशेषज्ञ के अलावा सर्जन की आवश्यकता होगी।
दवा का आवंटन- दवाई का आवंटन पर्याप्त रखना होगा। विषम परिस्थिति में लोकल परचेस से दवा खरीदने वर्षभर बजट रखना आवश्यक है।
सरकार इस योजना को दुर्ग में पहले शुरू करने का मन बनाया है। खामियों की समीक्षा की जाएगी। बाद में खामियों को दूर करने के बाद क्रमबद्ध तरीके से कोरबा और महासमुंद जिला अस्पताल के कैश काउंटर को समाप्त करेगी।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह सुविधा जिला मुख्यालय स्तर पर होगी। जिला के अन्य स्थानों में संचालित सामुदायिक और सिविल की व्यवस्था पूर्व की तरह संचालित रहेगी। इसमें किसी तरह का परिर्वतन नहीं किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि दुर्ग का चयन इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर किया गया है।