दुर्ग संसदीय सीट पर प्रतिमा चंद्राकर के अलावा मंत्री ताम्रध्वज साहू के बेटे जितेन्द्र साहू, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी राजेंद्र साहू भी दावेदार थे। साहू समाज की सर्वाधिक आबादी वाले इस सीट पर कांग्रेस आलाकमान ने दोनों साहू प्रत्याशियों को दरकिनार कर प्रतिमा चंद्राकर पर भरोसा जताया। राजनीति के जानकारों की मानें तो इन वजहों से प्रतिमा चंद्राकर दोनों दावेदारों पर भारी पड़ीं।
विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण से कांग्रेस का बी फार्म जारी होने के बाद टिकट काट दिया गया था। इसे लेकर कुर्मी समाज का आक्रोश भी सामने आया था। प्रतिमा ने इस पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने आपत्ति भी दर्ज कराई थी। माना जा रहा है तब राहुल गांधी ने उन्हें टिकट का आश्वासन दिया था।
आपके लिए बड़ी चुनौती क्या है?
हर चुनाव चुनौती पूर्ण होता है। किसी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। जो चुनौतियों के साथ बेहतर संघर्ष करता है, उसकी जीत होती है।
टिकट काटा नहीं गया था, बल्कि परिवर्तन किया गया था। प्रदेश में सरकार बनाने की बड़ी चुनौती थी, इसलिए बड़ी जिम्मेदारी के रूप में टिकट बदलकर प्रत्याशी उतारा गया था। हर नेता व कार्यकर्ता को पार्टी की ओर से जरूरत के हिसाब से जिम्मेदारी दी जाती है।
टिकट मांगना सभी का अधिकार है, इसमें प्रतिस्पर्धा सिर्फ टिकट बंटवारे तक रहती है। सभी ने टिकट की मांग की। पार्टी आलाकमान ने सबमे श्रेष्ठ को चुना। टिकट के फैसले के बाद सब एकजुट होकर पार्टी हित में काम करते हैं।
प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने तीन महीनें में ही कई ऐतिहासिक कार्य किया है। इससे जनता का विश्वास कांग्रेस के प्रति बढ़ा है। जनता मानने लगी है कि कांग्रेस जो कहती है वह करती है। इसका फायदा लोकसभा के चुनाव में जरूर मिलेगा।