प्लाट होल्डर्स का कहना है कि एक बार एप्रुव ले-आउट में दोबारा बदलाव नहीं किया जा सकता। खासकर सड़क और ओपन स्पेस पर निर्माण नहीं किया जा सकता। इधर आधी सड़क और ओपन स्पेस पर नींव खोदकर डीपीसी तैयार कर लिया गया है। दूसरी ओर शिकायत के बाद भी निगम प्रशासन द्वारा जांच के नाम पर टालमटोल किया जाता रहा।
प्लाट होल्डर्स ने बताया कि कॉलोनी के सभी प्लाट होल्डर्स की रजिस्ट्री में उक्त सड़क को 60 फीट दर्शाया गया है। इसके अलावा समय-समय पर निर्माण के लिए प्लाट के सीमांकन भी कराए गए हैं। इसमें भी सड़क की चौड़ाई 60 फीट बताई गई है। इसके अलावा ओपन स्पेस का भी जिक्र है। इसके बाद भी 30 फीट सड़क और ओपन स्पेस को दबाकर प्लाटिंग किया जा रहा है।
प्लाट होल्डर्स का कहना है कि चूंकि कॉलोनी निगम के आधिपत्य में है इसलिए अवैध कब्जे के खिलाफ कार्रवाई निगम की नैतिक जिम्मेदारी है। अवैध कब्जा हटाए जाने पर जमीन भी निगम के आधिपत्य में आएगी। इसके बाद भी निगम प्रशासन द्वारा कॉलोनाइजर के खिलाफ एफआईआर और अवैध बिक्री के मामले में न्यायालय जाने की सलाह दे रहे हैं।
प्लाट होल्डर डॉ.अखिलेश राय ने बताया कि मामले की शिकायत कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे से की गई है। इसके साथ ही उन्हें वस्तुस्थिति की जानकारी देकर निगम को यथोचित कार्रवाई के निर्देश देने की मांग की गई है। डॉ. राय ने बताया कि कलेक्टर ने निगम कमिश्नर को उक्त मामले में ठोस कार्रवाई के लिए निर्देश देने का भरोसा दिलाया है।