दुर्ग

निगम के खाद का नहीं मिल रहा खरीदार 30 टन खाद ट्रेंचिंग ग्राउंड में है डंप

सॉलिड वेस्ट मैनेंजमेंट के तहत नगर निगम द्वारा लाखों रुपए खर्च कर कचरे से बनाए गए खाद के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते 30 टन से ज्यादा खाद ट्रेंचिंग ग्राउंड के गोडाउन में डंप पड़ा है।

दुर्गNov 06, 2018 / 12:18 am

Naresh Verma

निगम के खाद का नहीं मिल रहा खरीदार 30 टन खाद ट्रेंचिंग ग्राउंड में है डंप

दुर्ग. सॉलिड वेस्ट मैनेंजमेंट के तहत नगर निगम द्वारा लाखों रुपए खर्च कर कचरे से बनाए गए खाद के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते 30 टन से ज्यादा खाद ट्रेंचिंग ग्राउंड के गोडाउन में डंप पड़ा है। यह स्थिति इसलिए निर्मित हुई क्योंकि अफसरों ने खाद की बिक्री की संभावना व बाजार के आंकलन के बिना निर्माण शुरू कर दिया। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कचरे से खाद बनाने के लिए 5 लाख रुपए कीमत की मशीन लगाई गई। मशीन को चलाने के लिए हजारों रुपए खर्च कर बिजली भी लगाई गई। तब मशीन से प्रतिदिन 6 से 8 टन खाद बनाने व इससे बेचकर हजारों रुपए लाभ का दावा किया गया था। मशीन स्टॉल भी किया गया। लंबे इंतजार के बाद डेढ़ साल पहले खाद बनना शुरू हुआ, लेकिन अब खाद नहीं बिकने के कारण मशीन बंद कर दी गई है।
29 लाख का विंड्रो सिस्टम भी ध्वस्त

ट्रैंचिंग ग्राउंड में दो साल पहले 29 लाख खर्च कर विंड्रो मैथड से कचरे के निबटान के लिए सिस्टम बनाया गया। इसके साथ हजारों रुपए की दवाइ का छिड़काव किया गया, लेकिन यह व्यवस्था भी अब ध्वस्त हो गई है। दावा किया गया था कि इस सिस्टम से कचरे का सुरक्षित ढंग से निपटान किया जाएगा।
गायब हो गई 15 लाख की दीवार

ट्रैचिंग ग्राउंड में कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए15 लाख रुपए खर्च कर दीवार भी बनाई गई थी। कचरा इस दीवार के अंदर डालकर निपटान किया जाना था, लेकिन इस दीवार को भी कचरे से पाट दिया गया। अब दीवार से बाहर कचरा सड़क पर फेंका जा रहा है। जिससे पोटिया की तरफ जाने वालों को दिक्कत है।
निगम ने यह किया था दावा

बनेगी उच्च क्लालिटी की खाद – नई पद्धति से कचरे की क्यारियां तैयार कर दवाई का छिड़काव किया गया। इससे कचरा जल्द पकने और नमी को खत्म कर कचरे की मात्रा से 20 से 40 प्रतिशत उच्च क्वालिटी का खाद बनाने का दावा किया गया था।
दुर्गंध व कीट से मिलेगी निजात – विंड्रो कम्पोजिंग सिस्टम से कचरे के निबटान से दुर्गन्ध व कीड़ों से छुटकारे का भी दावा किया गया था। दावा था कि माइक्रोप्स दवाई के छिड़काव से दुर्गन्ध व कीड़े नहीं पनप पाएंगे।
200 साल चलेगा ग्राउंड – निगम प्रशासन द्वारा नई प्रणाली से कचरे के निपटान से पोटिया स्थित मौजूदा ट्रेंचिंग ग्राउंड का कम से कम 200 साल उपयोग होने का भी दावा किया गया था। यह भी दावा किया गया था कि अधिकतर कचरे से खाद बना लिया जाएगा और जगह फिर खाली हो जाएगी।
अभी ट्रेंंचिंग ग्राउंड की यह हालत

पट गई विंड्रो क्यारियां – अफसरों की अनदेखी के कारण एक्सपर्ट द्वारा 15 दिन की मेहनत और लाखों रुपए खर्चकर बनाई गई विंड्रो मैथड की क्यारियां पट गई है। खाद बनाने का काम भी ठप हो गया है। लाखों की मशीन भी बेकार पड़ी है।
सड़क पर फेंक रहे कचरा – इधर विरोध के बाद शहर के भीतर के एसआरएलएम सेंटर बंद किए जा रहे हैं। इसके चलते ट्रैंचिंग ग्राउंड पर दोबारा दबाव बढ़ गया है। ग्राउंड में पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण निगम के कर्मचारी कचरा सड़क पर ही फेंक रहे हैं।
इस संबंध में दुर्ग निगम के स्वास्थ्य अधिकारी उमेश मिश्रा का कहना है कि ट्रैंचिंग ग्राउंड में मौजूदा कचरे के वैज्ञानिक तरीके निष्पादन के लिए बड़ी राशि की जरूरत है। इसके लिए राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इसके अलावा ग्राउंड पर्याप्त नहीं है। इसके लिए विकल्प जरूरी है।
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