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RTI से खुली निगम की पोल, 3 साल से बंद पुष्प वाटिका के मरम्मत पर 18 लाख का हेरफेर, फिर 31 लाख का टेंडर निकाला

locationदुर्गPublished: Mar 13, 2019 11:56:20 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

सालों से बंद शिवनाथ नदी तट स्थित पुष्प वाटिका के मेंटेनेंस में निगम प्रशासन ने 18 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। सूचना का अधिकार के तहत मिले दस्तावेज के हवाले से इसकी लोक आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई है।

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RTI से खुली निगम की पोल, 3 साल से बंद पुष्प वाटिका के मरम्मत पर 18 लाख का हेरफेर, फिर 31 लाख का टेंडर निकाला

दुर्ग. सालों से बंद शिवनाथ नदी तट स्थित पुष्प वाटिका के मेंटेनेंस में निगम प्रशासन ने 18 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। सूचना का अधिकार के तहत मिले दस्तावेज के हवाले से इसकी लोक आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई है। इस पर नगरीय प्रशासन के संयुक्त संचालक ने निगम कमिश्नर से दस्तावेज के साथ हिसाब मांगा है। लोक आयोग में की गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पुष्पवाटिका में राशि खर्च नहीं की गई है। झूठा खर्च दिखाकर गड़बड़ी की जा रही है।
नगर निगम द्वारा वर्ष 2004-05 में 93.66 लाख खर्च कर पुष्प वाटिका बनाया गया है। पुष्पवाटिका शहर के लोगों के सैर-सपाटे व मनोरंजन के लिए बनाया गया। लोगों को आकर्षित करने पुष्पवाटिका में विशाल फिश एक्वेरियम, म्यूजिकल फाउंटेन व पथ-वे भी बनाया गया था। लोक आयोग को की गई शिकायत में बताया गया है कि इससे निगम प्रशासन को राजस्व की भी प्राप्ति होती थी, लेकिन दो से तीन सालों में ही निगम प्रशासन की अनदेखी व रखरखाव की कमी के कारण पुष्पवाटिका जर्जर हो गई।
आप कार्यकर्ताओं ने किया था खुलासा
सूचना का अधिकार के तहत मामले का खुलासा आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किया था। खुलासे के बाद कार्यकर्ताओं ने जांच की मांग को लेकर कलेक्टोरेट में प्रदर्शन कर कलेक्टर और महापौर को ज्ञापन भी सौंपा था। इसके बाद भी इसकी जांच नहीं कराई गई। इस पर वर्ष 2017 में लोक आयोग में शिकायत की।
पहले भी आ चुका है रिमांइडर
नगरीय प्रशासन विभाग के संयुक्त संचालक ने निगम कमिश्नर सुनील अग्रहरि को पत्र लिखकर दस्तावेज के साथ हिसाब प्रस्तुत करने कहा है। जानकारी के मुताबिक संयुक्त संचालक इससे पहले 8 से 10 रिमाइंडर भी भेज चुके हैं। लिहाजा इस बार जानकारी नहीं दिए जाने की सूरत में संबंधित अधिकारी व कर्मचारी की जिम्मेदारी तय कर अनुशासनात्मक कार्रवाईकी भी चेतावनी दी गई है।
शिकायत में बताया गया है कि 18 लाख खर्च के बाद भी वित्तीय वर्ष 2015-16 में भी पुष्पवाटिका की हालत सुधारने के नाम पर 31 लाख रुपए का टेंडर जारी किया गया था। यह राशि खर्च की गई अथवा नहीं इसकी जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन इस अवधि में पार्क बंद था और पूरी तरह उजाड़ हो चुका था। संयुक्त संचालक ने इस राशि का भी हिसाब मांगा है।
पार्षद राजेश शर्मा ने बताया कि निगम में निर्माण और विकास के नाम पर गड़बड़ी की शिकायत है। इसी तरह शौचालयों के लिए फर्जी भुगतान, आइएचएसडीपी आवासों के प्रीमियम और किराए की राशिकी गड़बड़ी के भी खुलासे हो चुके हैं। पुष्प वाटिका में भी खर्च इसी तरह का मामला है। जांच व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए।
महापौर चंद्रिका चंद्राकर ने कहा जिन खर्चों की बात कही जा रही है, उनकी जानकारी मुझे नहीं है। मेरे कार्यकाल में रंग-रोगन और सफाई से संबंधित कुछ काम कराए गए हैं। जिसकी राशि बहुत कम है। पुष्प वाटिका में लोग आए इसलिए यह काम कराए गए थे। इस संबंध में जानकारी जुटाने के बाद ही आगे कुछ कह पाउंगी। कमिश्नर नगर निगम दुर्ग सुनील अग्रहरि ने बताया कि नगरीय प्रशासन के संयुक्त संचालक का पत्र आया था। इसमें पुष्प वाटिका से संबंधित जानकारियां मांगी गई थी। निर्देश के मुताबिक जानकारी भेज दी गई है।
किसान ने लगाया आरोप जबरिया किया कृषि जमीन पर कब्जा
शिकायतकर्ता का आरोप है कि पुष्प वाटिका दो से तीन साल में ही बंद हो गया था। इसके बाद भी लगातार 3 साल तक रख रखाव में खर्च दिखाकर राशि निकाली है। कृषक श्याम सुन्दर शर्मा का आरोप है कि वर्ष 18 8 8 -8 9 में मध्यप्रदेश शासन काल में दुर्ग-भिलाई वृहद पेयजल योजना के नाम पर अधिग्रहण के प्रकरण पर उनकी जमीन खसरा नंबर 275/1 व 378 रकबा क्रमश: 0.565 व 0.129 कुल 0.694 हेक्टेयर को जोड़कर जबरिया कब्जा कर लिया गया और उसमें गार्डन व मछलीघर बना दिया गया। मामला राजस्व न्यायालय में पेंडिंग है।

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