कांग्रेस पार्षद राजेश शर्मा के नेतृत्व में निगम कमिश्नर सुनील अग्रहरि का घेराव करने पहुंचे पार्षदों ने बताया कि मौजूदा परिषद ने अपने 50 माह के कार्यकाल में 39 एमआइसी की बैठकें की है। इन बैठकों में करीब 400 निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकतर निर्णय नियम विरूद्ध लिए गए हैंऔर चहेतों को उपकृत किए गए हैं। पार्षदों ने कमिश्नर के सामने ऐसे कई मामले गिनाए और ज्ञापन सौंपकर जांच की मांग की। ज्ञापन सौंपने वालों में अब्दुल गनी, जमुना साहू, सुरेन्द्र राजपूत, राजकुमार वर्मा, कन्या ढीमर, शकुन ढीमर, भोला महोबिया, विजयंत पटेल, लीलाधर पाल, भास्कर कुंडले, अनूप चंदानिया शामिल थे।
1.09 करोड़ की पोटिया सड़क : पोटिया में ट्रैंचिंग ग्राउंड रोड पर 1 करोड़ 9 लाख से सीमेंटीकृत सड़क बनाई जा रही है। विपक्ष का आरोप है कि 1 करोड़ से अधिक के काम की स्वीकृति का अधिकार नहीं होने के बाद भी एमआइसी में स्वीकृति देकर काम शुरू करा लिया गया। दूसरी ओर सरकार को इस कार्य को अप्रारंभ बताकर जानकारी भेजी गई।
56 लाख के भवन का स्थल परिवर्तन : पोटिया वार्ड में 2 साल पहले 56 लाख से सामाजिक भवन निर्माण को मंजूरी दी गई। इसकी राशि भी मिल गई है। एमआइसी सदस्यों ने प्रस्तावित वार्ड में खाली जमीन नहीं होने का हवाला देकर भवन का स्थल परिवर्तन का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। कांग्रेसियों का आरोप है कि प्रस्तावित वार्ड में पर्याप्त जगह होने के बाद भी अपने दल के पार्षद को लाभ पहुंचाने झूठी जानकारी भेज दी गई।
बजट में धारा 97-98 का परिपालन : नगर निगम अधिनियम में बजट तैयार करने व उसकी स्वीकृति के संबंध में प्रावधान है। कांग्रेसियों का आरोप है कि एमआइसी द्वारा धारा 97 के तहत बजट बनाने के समय व प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। वहीं धारा 98 के प्रावधान को गलत परिभाषित कर बजट को स्वीकृति के लिए सीधे शासन को भेजने दबाव बनाया जा रहा है।