पुलिस के मुताबिक उन्हें सूचना मिली थी कि शराब बनाने कु छ युवक सक्रिय हैं। इसके आधार पर कॉलेज के आसपास और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में टोह ले रहे थे। मंगलवार देर शाम 2 युवक पुलिस के हत्थे चढ़े। पुलिस का दावा है कि दोनों युवक शराब खपाने ग्राहक की तलाश में थे। सख्ती से पूछताछ में पुलिस ने बोरसी क्षेत्र के युवकों के ठिकाने पर दबिश दी और इस अवैध कारोबार का भंड़ाफोड़ किया।
किराए के मकान में युवकों ने स्प्रिट को प्लास्टिक के ड्रम में भरकर रखा था। पूछताछ में युवकों ने खुलासा किया कि शराब बनाने के लिए उन्हें भारी मात्रा में स्प्रिट की जरूरत थी। खुला बाजार में उपलब्ध नहीं होने की वजह से उन्हें परिवहन करने वाले एक ट्रक ड्राइवर को विश्वास में लिया और अवैध रुप से रास्ते में ट्रक को रोक वे स्प्रिट खरीदने लगे।
पूछताछ में खुलासा हुआ कि अवैध शराब बनाने के लिए दीपक ने प्लान बनाया। यू ट््यूब में शराब बनाने के तरीका सर्च किया। उपयोग में आने वाली सामाग्री के बारे में जानकारी एकत्र की। उन्होंने एकांत क्षेत्र में शराब बनाने का निर्णय लिया।
पुलिस के मुताबिक मास्टरमाइंड दीपक खुद को इंजीनियरिंग पास (engineering student )आउट बताया है। कुछ समय पहले ही वह वैशाली से दुर्ग पहुंचा और एक प्राइवेट कंपनी में सर्वे का काम शुरू किया। इस दौरान ओमेन्द्र और वासुदेव से पहचान हुई। इसके बाद शराब का कारोबार करने प्लान बनाया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि स्प्रिट से कच्ची शराब बनाना जोखिम भरा होता है। शराब तैयार करने में मात्रा अगर थोड़ी भी गड़बड़ हुई तो शराब पीने वाले की मौत स्वभाविक है। पुलिस का कहना है कि इस तरह की घटना होने से पहले ही वे शराब को जब्त करने में सफल हो गए।
दुर्ग सीएसपी विवेक शुक्ला ने कहा कि जिले में नगरीय निकाय चुनाव चल रहा है। इसलिए अलर्ट थे। नशा मुक्ति अभियान जियो खुलकर के वालिंटियर को अलर्ट रखा था, इस वजह से इस अवैध कारोबार का भंडाफोड़ हुआ।
सीएसपी दुर्ग विवेक शुक्ला ने बताया कि इस मामले में पूछताछ की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अवैध शराब बनाने और आबकारी एक्ट की धारा के तहत अपराध दर्ज किया जाएगा। साथ ही हम स्प्रिट बेचने वाले ट्रक चालक की तलाश कर रहे हैं। उसके खिलाफ भी अपराध दर्ज किया जाएगा। स्प्रिट की गुणवत्ता को जांचने एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है।