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पुलिस की अमानवीय हरकत, मृत बेटे की बिसरा जांच रिपोर्ट के लिए मां को छह माह तक किया गुमराह

locationदुर्गPublished: May 15, 2018 10:03:45 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने बिसरा को उसी दिन पोस्टमार्टम के बाद मामले के विवेचना अधिकारी को सौंप दिया था।

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दुर्ग . मौत जैसे संवेदनशील मामले में पुलिस कितनी असंवेदनशील है इसका खुलासा एक प्रकरण से हुआ। इसका खुलासा होने के बाद पता चला कि किसी की मौत पर बिसरा जांच के नाम पर पुलिस ने अमानवीय हरकत की है। इसमें खास बात यह है कि आला अफसरों के ध्यान न देने के कारण भी निचले अधिकारियों को बल मिला है। लगातार मॉनिटरिंग होती तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती। मामला उजागर होने के बाद एएसपी ने जांच के आदेश दिए हैं।
भेज दिया था लैब
पटरी पार क्षेत्र शांति नगर निवासी मनीष यादव की मौत २९ सिंतबर २०१७ को तालाब में डूबने से हो गई थी। चिकित्सकों ने मौत के सही कारणों का पता लगाने पोस्टमार्टम करते समय टीबिया बोन प्रिजर्व किया था। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने बिसरा को उसी दिन पोस्टमार्टम के बाद मामले के विवेचना अधिकारी को सौंप दिया था। घटना के २० दिन बाद पीडि़त महिला ललिता यादव अपने बेटे के पीएम रिपोर्ट के साथ बिसरा रिपोर्ट लेने मोहन नगर गई।
शुरूआत में पुलिस वाले ने उसे यह बोलकर गुमराह किया कि वे बिसरा को जल्द ही जांच के लिए भेजे देंगे। बाद में लैब जाने के लिए खर्च की बात कहने लगे। इस तरह दो माह बीत गए। दो माह बाद ललिता फिर थाने गई तो कहा गया कि बिसरा को जांच के लिए लैब भेज दिया है।
एसपी ने ली क्लास अफसरों ने दिए गोलमोल जबाव
शिकायत मिलते ही एसएसपी डॉ. संजीव शुक्ला ने मोहन नगर टीआई व विवेचना अधिकारी की जमकर क्लास ली है। गोलमाल जवाब देने पर एसएसपी ने पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं। साथ ही बिसरा को तत्काल जांच के लिए भेजने का निर्देश दिए हैं। इस मामले की जांच प्रशिक्षु आइपीएस भोजराम पटेल करेंगे। जांच के बाद रिपोर्ट एसएसपी को देंगे।
ये सही है बिसरा जांच के लिए नहीं गया
एसएसपी दुर्ग डॉ. संजीव शुक्ला ने बताया कि मामले की शिकायत मिली है। मैंने मामले को गंभीरता से लिया है। डायरी को अवलोकन भी किया। यह सही है कि बिसरा को जांच के लिए भेजा ही नहीं गया था। इस मामले की जांच करने की जिम्मेदारी आइपीएस भोजराम पटेल को दी गई है। रिपोर्ट आते ही दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
महिला छह माह से चक्कर लगा रही
पीडि़त महिलाकी अधिवक्ता श्यामला चौधरी ने बताया किपीडि़त महिला छह महिने से थाना का चक्कर लगा रही थी। विवेचना अधिकारी ने रुपए की मांग की थी। वास्तविकता जानने के लिए सूचना का अधिकार के तहत जानकारी ली गई। इसके बाद एसएसपी से शिकायत की गई।
महिला ने पैसे नहीं दिए तो उसके दिवंगत बेटे का बिसरा जांच के लिए नहीं भेजा
मामला मोहन नगर थाना का है। एक विवेचना अधिकारी ने बिसरा को जांच के लिए फोरेंसिक लैब नहीं भेजा। कारण उसे पीडि़त महिला शांतिनगर निवासी ललिता यादव ने रुपए नहीं दिए। छह माह तक थाना का चक्कर लगाने के बाद जब महिला ने सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी तब सच सामने आया। हैरान परेशान महिला अपनी व्यथा बताने सीधे एसपी कार्यालय पहुंची।
छह माह बाद भी रिपोर्ट नहीं मिली तब लगाया आरटीआई
छह माह बाद भी रिपोर्ट नहीं मिली तब महिला ने सूचना का अधिकार के तहत फोरेंसिक लैब से जानकारी मांगी। जिसमें तब खुलासा हुआ कि पुलिस ने जांच के लिए बिसरा भेजा ही नहीं। यह जानकारी मिलने पर पीडि़त महिला आवाक रह गई।
लैब से जानकारी दी गई पुलिस ने परीक्षण के लिए बिसरा जमा नहीं किया है
सूचना का अधिकार के तहत राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोग शाला रायुपर के संयुक्त संचालक डॉ.आरके गुप्ता ने पत्र क्रंमाक ३९-२०१८ में खुलासा किया कि मोहन नगर पुलिस ने अप्रैल 2018 की स्थिति में मर्ग क्रंमाक ६५-२०१७ का बिसरा परीक्षण के लिए जमा हीं नहीं किया है। इसलिए बिसरा रिपोर्ट देना संभव ही नहीं है।
रुपए मांगने घर तक आया था अधिकारी
ललिता यादव का कहना है कि मामले की जांच कर रहे विवेचना अधिकारी मोहन सोनी उसके घर आया था। उसने रुपए की यह कहते हुए मांग की थी कि रिपोर्ट मंगाने में खर्च करना पड़ता है। बड़े साहब को जब तक रुपए नहीं देंगे रिपोर्ट बनकर नहीं आएगा। वह २-३ दिनों में दोबारा आएगा तब तक वह रुपए का इंतजाम कर ले।
कई लोगों का बिसरा थाने में ही हो चुका नष्ट
मर्ग जांच में विवेचना अधिकारियों की लापरवाही सार्वजनिक होने के बाद सीएसपी दुर्ग ने प्रत्येक विवेचना अधिकारियों को प्रकरण में तीन पेज का प्रपत्र लगाने और थाना में रखे विसरा को तत्काल जांच के लिए लैब भेजने का निर्देश दिए । इस पर खुलासा हुआ कि थाना के मालखाने में छह माह से लेकर एक साल का विसरा रखा है। कई प्रकरणों के बिसरा नष्ट हो चुका है। कुछ प्रकरणों के बिसरा को मिसिंग बताया जा रहा है। ऐसे प्रकरणों में विवेचना अधिकारी अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोग शाला के विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं।
बिसरा रिपोर्ट न मिलने के कारण स्वीकृत मुआवजा भी अटक गया
पीडि़त महिला ने बताया कि उसकी माली हालत खराब है। बेटे क ी मौत होने पर वह पूरी तरह टूट चुकी है। घरों में चौका बर्तन का काम कर जैसे तैसे जीवन बसर कर रही है। शासन ने उसके बेटे की मौत पर मुआवजा निर्धारित किया था। तहसीलदार ने राशि स्वीकृत होने की जानकारी दी।
बाद में राशि पर अधिकारियों ने यह कहते रोक लगा दी कि चिकित्सक ने बिसरा जांच करने का निर्देश दिया है। प्रकरण में बिसरा रिपोर्ट संलग्न नहीं है। सरकारी मुआवजे के लिए ही ललिता बिसरी जांच की रिपोर्ट के लिए चक्कर लगा रही है।
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