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दुर्ग

रेलवे के इस जंक्शन में हर रोज 50 हजार मुसाफिरों की आवाजाही, स्वास्थ्य बिगड़ा तो भगवान भी नहीं बचा पाएंगे जान, जानिए क्यों है ऐसा

50हजार से भी अधिक लोगों की आवाजाही होने के बाद कर्मचारियों और यात्रियों का आचनक स्वास्थ्य खराब होने पर कोई भी इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं है।

दुर्गMar 18, 2019 / 11:44 am

Dakshi Sahu

patrika

रेलवे के इस जंक्शन में हर रोज 50 हजार मुसाफिरों की आवाजाही, स्वास्थ्य बिगड़ा तो भगवान भी नहीं बचा पाएंगे जान, जानिए क्यों है ऐसा

दुर्ग. बिलासपुर रेलवे जोन में दुर्ग रेलवे स्टेशन मॉडल के रुप में है। 50हजार से भी अधिक लोगों की आवाजाही होने के बाद कर्मचारियों और यात्रियों का आचनक स्वास्थ्य खराब होने पर कोई भी इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं है। इसे लेकर योजना तो बनी लेकिन 2 साल बाद भी न डॉक्टर की सुविधा है न प्राथमिक उपचार की।
२०१७ के बजट में रेल मंत्रालय में दुर्ग रेलवे स्टेशन के आसपास अस्पताल बनाने की घोषणा की थी। बजट भी स्वीकृत हुआ। लेकिन अब तक स्थल चयन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। साल भर का समय गुजरने के बाद रेलवे के अधिकारियों ने यह कहते हुए प्रोजेक्ट को भिलाई-तीन ले जाने के बात कही कि यहां पर जगह का अभवा है। बाद में पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
सेक्टर-9से अनुबंध का प्रस्ताव ठुकराया
दुर्ग जंक्शन के अंतर्गत आने वाले यूनिट में लगभग 1500-2000 कर्मचारी कार्यरत है। ये कर्मचारी लंबे समय दुर्ग में अस्पताल खोलने की मांग कर रहे हैं, लेकिन रेलवे अपने ही विभाग की मांग को लगातार नजर अंदाज कर रहा था। कर्मचारियों को सुविधाएं देने रायपुर मंडल प्रबंधक ने भिलाई इस्पात संयंत्र के सेक्टर ९ अस्पताल से अनुबंध करने का प्रयास अवश्य किया। इस प्रस्ताव को रेलवे ने ठुकरा दिया।
यात्री सुविधा कमेटी का सुझाव भी दरकिनार
2017 में दिल्ली से यात्री सुविधा कमेटी का प्रतिनिधि मंडल दुर्ग स्टेशन पहुंचा था। ५ वर्ष से बंद पड़े शॉपिग कॉम्पलेक्स के बारे में पूछताछ की। टेंडर में व्यापारी रुचि नहीं दिखाने के बात पर कमेटी के सदस्यों ने बेहत्तर अस्पताल संचालित करने का सुझाव दिया था। इस प्रस्ताव को भी स्थानीय अधिकारियों ने ठुकरा दिया।
पहले रहती थी 108
वैकल्पिक व्यवस्था के तहत रेलवे ने स्वास्थ्य विभाग से सहयोग लिया था। अचानक बीमार पड़े यात्रियों व रेलवे कर्मचारियों के परिवार को अस्पताल पहुंचाने १०८ का स्थाई स्टापेज जिला रेलवे स्टेशन परिसर में बनाने कहा था। दो साल के बाद यह व्यवस्था भी ध्वस्त हो गई।
विकल्प भी काम न आया
कर्मचारियों की मांग पर रेलवे स्टेशन में वैकल्पिक क्लीनिक की व्यवस्था की थी। चरोदा अस्पताल से १ डाक्टर की ड्यूटी यहां लगाई गई थी। शुरूआत में डॉक्टर सप्ताह में चार दिन तीन घंटा का समय अवश्य देते हैं। वर्तमान में डॉक्टर आते है कि नहीं इस बात की जानकारी डॉक्टरों को भी नहीं है।
हो चुकी है मौत
2017 में स्टेशन परिसर में 2 यात्रियों की मौत हो चुकी है। दुर्ग स्टेशन पहुंचने पर यात्री गंतव्य स्थान जाने ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे थे। इसी बीच हृद्यघात आने से गंभीर हो गए। निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। निरीक्षक जनसंपर्क रायपुर शिव प्रसाद ने बताया कि दुर्ग में अस्पताल खोलने संबंधी प्रोजेक्ट काम रायपुर मंडल के अधिकारी नहीं देख रहे हंै। जोन ऑफिस के ही अधिकारी कुछ बता पाएगें। चरोदा में अस्पताल संचालित है।
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