आपको यह जानकार हैरानी होगी कि समाज और देश में ऐसे कई लोग हैं जो सालों से अपनों एवं परिवार के साथ त्योहार नहीं मना पाते हैं।
Hats off to their spirit: These are the people who for years were not festival
नसीम फारुखी दुर्ग. आपको यह जानकार हैरानी होगी कि समाज और देश में ऐसे कई लोग हैं जो सालों से अपनों एवं परिवार के साथ त्योहार नहीं मना पाते हैं। इनके घर कार्यस्थल और कर्मभूमि में तैनात सहकर्मी/साथी इनके परिवार के सदस्य होते हैं। हम बात कर रहे देश की सीमा पर तैनात जवानों सहित त्योहार पर लोगों की सुख सुविधाओं और शांति से त्योहार मना सके इसलिए अपनी जिम्मेदारी सम्हालते हैं। घर पर त्योहार नहीं मना पाते सेना की जितनी तारीफ की जाए वो कम है। सेना के जवानों की किसी से तुलना नहीं की जा सकती। सेना के जवान तो अतुलनीय है। इनके अलावा त्योहार के दिन हमारे शहर और आस-पास ऐसे कई शासकीय विभाग के कर्मचारी भी इसी तरह घर पर त्योहार नहीं मना पाते हैं। इनमें सबसे पहले भारतीय रेलवे के वे कर्मचारी आते हैं जिन्हे मुसाफिरों को गंतव्य तक पहुंचाना होता है। इनके अलाव रेलवे के ही सिंगलमेन, बुकिंग ऑफिस सहित रेस्क्यू टीम (संकटमोचक वाहन) के कर्मचारी शामिल हैं। कर्मभूमि पर डटे रहना ही असली दीपावली इसी तरह बिजली कंपनी के लाइनमैन, स्वास्थ्य विभाग के एंबुलेंस कर्मचारी, इमरजेंसी ड्यूटी करने वाले डाक्टर, नर्स, फायर बिग्रेड कर्मी भी घरों पर त्योहार नहीं मना पाते हैं। इनके अलावा पुलिस विभाग सहित इलेक्ट्रानिक्स मीडिया कर्मी के लिए कार्यस्थल घर और कर्मभूमि पर डटे रहना ही असली दीपावली होती हैं। ये चाहकर भी परिवार के साथ त्योहार नहीं मना पाते हैं। पत्रिका ने ऐसे विभागों को जाकर देखा और कर्मचारियों से बातें भी कीं।
दुर्ग जिला अस्पताल जिला अस्पताल में त्योहार के कारण सन्नाटा पसरा हुआ है। त्योहार की वजह से लोगों व मरीजों का कम आना-जाना हुआ था। घर में त्योहार मनाने कुछ मरीज अपनी छुट्टी कराकर चले गए तो वहीं अस्पताल की सुरक्षा पर तैनात जवान अस्पताल अपनी कर्मभूमि पर डटे रहे।
सब अच्छी दीपावली दीपावली का पर्व और घर की जिम्मेदारी से बढ़कर गंभीर मरीज की सेवा ही अच्छी ड्यूटी है। गंभीर मरीजों के उपचार में व्यस्त मिले जिला अस्पताल के नर्स और जूनियर डॉक्टर।
मुसाफिर सकुशल पहुंच जाए यही हमारी दीवाली एक तरफ दीपावली की खुशियां सारे शहर में छाई हुई है। लोग घरों में दीए जलाकर पूजा की तैयारी में लगे है। वहीं इन जैसे कई लोग अपने कर्तव्य का पालन कर सभी की खुशियों को अपनी खुशी मान जिम्मेदारी निभा रहे है। दुर्ग से भोपाल जाने वाली अमरकंटक एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन ड्राइवर जेडी नारंगे व सुदीप रोकड़े ट्रेन की लाइट जलाकर सिग्नल मिलने के इंतजार में खड़े नजर आए।