कॉलेज ने विद्यार्थियों को परीक्षा फार्म भरने 15 मार्च तक का समय दिया था। फार्म जमा होने के बाद कॉलेज ने परीक्षाओं का टाइम-टेबल भी जारी किया, लेकिन दुर्ग में कोरोना बढऩे की वजह से परीक्षा स्थगित करनी पड़ी। स्थगन की सूचना 27 मार्च को निकाली गई। इसके बाद कॉलेज ने फिर 17 मई को सूचना निकाली कि वार्षिक परीक्षा 25 मई से प्रारंभ होगी। यहीं टाइम-टेबल में बड़ी गलती कर दी। नीचे की तरफ लिखा कि जिन छात्रों ने सत्रीय कार्य जमा किया है, उनको वार्षिक की उत्तरपुस्तिकाएं जमा नहीं करनी है। कॉलेज ने सत्रीय कार्य को ही वार्षिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिका मान लिया।
सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि जब शासन ने अप्रेल के अंत में विवि की वार्षिक परीक्षाओं को लेकर निर्देश जारी किए तो फिर मार्च में ही साइंस कॉलेज ने स्वाशासी परीक्षा कैसे ले ली। यानी कॉलेज ने उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश मिलने का इंतजार नहीं किया। शिकायतकर्ताओं ने इस पूरे मामले को आर्थिक अनियमित्ता से जोड़ दिया है और इसकी जांच कराने की मांग की गई है।
डॉ. सीएल देवांगन, रजिस्ट्रार, दुर्ग विवि ने बताया कि साइंस कॉलेज प्रशासन ने विवि अधिनियम से बाहर जाकर यह रिजल्ट घोषित किया है। इसमें विवि तभी मार्कशीट प्रोसेस करा सकता है, जब उच्च शिक्षा विभाग मंजूरी दे। इससे विद्यार्थियों को बड़ा नुकसान होगा। डॉ. अनिल कश्यप, परीक्षा नियंत्रक, साइंस कॉलेज ने कहा कि कोरोनाकाल में विद्यार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए ये निर्णय लिया गया था, जिसे कॉलेज की गवर्निंग बॉडी और परीक्षा समिति ने मंजूरी दी है। जल्द हल निकाल लेंगे।