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गिधवा प्रोजेक्ट पिछड़ा तो दुर्ग में साइबेरियन पक्षियों के लिए सबसे बेहतर जगह खोजने मेें जुटा वन विभाग

locationदुर्गPublished: Nov 16, 2017 11:30:25 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

शहर से लगे बोरसी और धनोरा क्षेत्र में साइबेरियन समेत अन्य प्रवासी पक्षियों का संरक्षण किया जाएगा। वन विभाग ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है।

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दुर्ग . शहर से लगे बोरसी और धनोरा क्षेत्र में साइबेरियन समेत अन्य प्रवासी पक्षियों का संरक्षण किया जाएगा। वन विभाग ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि ठंड के मौसम में साइबेरियन समेत कई अन्य प्रजाति की प्रवासी पक्षी हजारों की मील का सफर कर यहां आते हैं।
शहर से लगे गांवों में तीन से चार माह तक रहते हैं। ये पक्षियां खेतों में दिखाई देती हैं। इन पक्षियों को शिकार से बचाने और उन्हें संरक्षित करने की योजना पर काम चल रहा है। इन प्रवासी पक्षियों के लिए धनोरा और बोरसी क्षेत्र को विकसित किया जाएगा।
प्रशासन ने दिखाई गंभीरता, करवाया जा रहा है सर्वे
प्रशासन ने पहली बार इन पक्षियों के संरक्षण को लेकर गंभीरता दिखाई है। वन विभाग की मदद से आसपास के क्षेत्रों में सर्वे कराया जा रहा है। जिसमें यह पता लगाया जा रहा है कि साइबेरियन के अलावा और कितने प्रजाति के प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। वे किस तरह और किन जगहों पर रहना पसंद करते हैं। कितने पक्षी झुंड में रहते हैं। साइबेरियन के साथ झुंड मेंं अन्य प्रजाति के पक्षी तो नहीं रहते। अधिकारियों ने बताया कि सर्वे के आधार पर ही प्रवासी पक्षियों के लिए उपयुक्त जगह की तलाश कर उसे विकसित किया जाएगा।
धान का दाना चुगने आते हैं इन क्षेत्रों में
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक आम तौर पर साइबेरियन पक्षियों को खेतों में देखा गया है। धान कटाई के बाद वे खेतों में दाना की तलाश करने यहां तक पहुंचते है। खेतों में पड़े धान को खाने के बाद वहीं जमीन या फिर झाड़ीनुमा पेड़ पर घोंसला बनाकर रहते हैं। बोरसी और धनोरा में साइबेरियन के हर साल पहुंचने की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को मिलती है। अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आम तौर पर साइबेरियन ही आते हैं।
जलवायु उनके लिए रहती है अनुकूल
ठंड के मौसम में प्रदेश की जलवायु इन पक्षियों के अनुकुल रहती है। इसी वजह से दीपावली के बाद से जिले में पूर्वी देशों से प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है। जिसमें साइबेरियन प्रमुख है। ये पक्षी नवंबर से फरवरी तक यहां रहते हैं। मार्च में तापमान बढऩा शुरू होता है तब ये वापस लौटने लगते हैं। प्रवासी पक्षियों के लिए नया तालाब निर्माण पर भी विचार किया जा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि प्रवासी पक्षी किसी निश्चित स्थान पर पहुंचती है और वहां पानी की व्यवस्था नहीं है तो जल्द वहां पर नया तालाब का निर्माण किया जाएगा। तालाब निर्माण मनरेगा के माध्यम से कराया जाएगा। वहां पर पौधरोपण कर प्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा। पौध रोपण की जिम्मेदारी वन विभाग की होगी।
सर्वे पर कलक्टर की नजर
प्रवासी पक्षियों को संरक्षण देने के लिए वन विभाग ने सर्वे शुरू कर दिया है। सर्वे कार्य की मॉनिटरिंग कलक्टर उमेश अग्रवाल खुद कर रहे हैं। सर्वे के बाद वन विभाग के अधिकारी प्रोजक्ट तैयार कर प्रस्ताव शासन को भेजेंगे। शासन से मंजूरी मिलते ही काम शुरू किया जाएगा।
डीएफओ दुर्ग धरमशील गनवीर कलेक्टर के साथ बैठक योजना बनी। कलक्टर के निर्देश पर ही हम लोग प्रवासी पक्षियों का सर्वे कर रहे हैं। जिसमें कौन कौन सी प्रजाति की प्रवासी परिंदे जिले में आती हैं इसका अध्यन कर रहे है। पक्षियों के लिहाज से किस तरह का वातवरण होना चाहिए उसका भी अध्ययन किया जा रहा है। प्रवासी पक्षियों के बारे में अध्यन कर हम जल्द ही प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजेंगे।
गिधवा का प्रोजेक्ट पिछड़ा
वन विभाग ने तीन वर्ष पहले प्रवासी पक्षियों के लिए बेमेतरा जिले के ग्राम गिधवा के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया था। वहां पर पक्षियों को अनुकू ल वातावरण देने के लिए क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। वर्षा कम होने के कारण चिन्हित तालाब में पानी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इस वजह से यह प्रोजेक् ट अब तक पूरा नहीं हुआ है।
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