जैन साध्वियों ने बताया कि ध्यान और योग ईश्वर तक पहुंचने का सबसे सरल माध्यम है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इसे जरूर अपनाना चाहिए। जैन साध्वियों ने बताया कि ध्यान और योग ईश्वर तक पहुंचने का सबसे सरल माध्यम है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इसे जरूर अपनाना चाहिए।
दुर्ग. शहर के आनंद मधुकर भवन में आयोजित चातुर्मास प्रवचन शुक्रवार को ध्यान और योग पर केंद्रित रहा। एक ओर साध्वियों ने ध्यान और योग के महत्व बताए तो पुणे और मुम्बई के विशेषज्ञों ने श्रद्धालुओं को इसके गुर सिखाए। जैन साध्वियों ने बताया कि ध्यान और योग ईश्वर तक पहुंचने का सबसे सरल माध्यम है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इसे जरूर अपनाना चाहिए।
हर व्यक्ति को ब्रम्हमुहूर्त में उठना चाहिए प्रवचन में राजस्थान प्रवर्तनीय डॉ सुप्रभाजी ने कहा कि हर व्यक्ति को ब्रम्हमुहूर्त में उठना चाहिए। ब्रम्हमुहूर्त का ध्यान, योग और प्रार्थना में हमे ईश्वर के बेहद करीब पहुंचा देते हैं। मौन साधना, योग साधना, ध्यान साधना ईश्वर के करीब पहुंचने का सशक्त माध्यम बन सकता है। आवश्यकता केवल एकाग्रता से साधना की है। महासती डॉ हेमप्रभा ने आत्मा को अविनाशी बताते हुए उसके रूपों की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि आत्मा शुद्ध है, पवित्र है। आत्मा कई शरीर को धारण करते हुए अपना कार्य करती है।
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170 शामिल हुए ध्यान शिविर में पुणे महाराष्ट्र की योग विशेषज्ञ कंाता पारख और मुम्बई की पारस कोठारी ने आत्मध्यान साधना शिविर में आज बेसिक जानकारियां दी। इसमें जैन समाज के करीब 170 पुरूष व महिलाएं शामिल हुए। योग साधिका कांता पारख ने आत्मा के स्वरूपों की व्याख्या करते हुए कई तरह के ध्यान सिखाए।
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सांसों पर नियंत्रण के गुर बताए पारस कोठारी ने ध्यान कैसे करना चाहिए व शरीर के अंदर से आने और जाने वाली सांसों पर हमारा ध्यान कैसे केंद्रित होना चाहिए यह भी बताया। उन्होंने सहज व सरल अंदाज में सभी बातों को छोटे छोटे उदाहरणों के साथ समझाया। शिविर 29 व 30 को भी होगी।