न्यायालय से जमानत आवेदन मंजूर कर आरोपी को रिहा करने का आदेश देने का आग्रह किया गया था। जमानत आवेदन में जैन के स्वास्थ्यगत परेशानियों का भी जिक्र किया गया था कि सब इंजीनियर की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ है। साथ ही एक बार और ऑपरेशन होना है। वह अवसाद से ग्रस्त है। उनका 2004 से इलाज चल रहा है। वह न्यूरो और चर्मरोग का भी मरीज है। लंबे समय तक अगर वे जेल में रहेंगे तो मानसिक स्थिति पर बुरा असर होगा।
सुपेला पुलिस ने कोर्ट में बताया कि आरोपी आरके जैन साडा कार्यकाल में संपदा अधिकारी थे। फाइल का अवलोकन किया बिना दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर फाइल को सीईओ की ओर अग्रेसित कर दिया। सीईओ ने नोटशीट में साइन कर जमीन को तत्कालीन एसपी मुकेश गुप्ता को आवंटित करने की मंजूरी दे दी।
साडा को सरकार ने 8 जून 1998 को भंग कर दिया और नगर पालिक निगम बनाने की घोषणा कर दी। तब मुकेश गुप्ता दुर्ग के एसपी होने के नाते साडा के पदेन सदस्य थे। सदस्य होने के नाते उन्हें जमीन आवंटन हुई थी। गुप्ता ने तब जमीन की कीतम साडा के खाते में जमा नहीं की थी। बाद में अफसरों ने साडा के नाम से 75536 रुपए का चेक ले लिया और चेक को लेखा परीक्षा विभाग में भेज दिया गया। राशि स्थानंतरित भी नहीं हुई थी कि 11 जून 1998 को अधिकारियों ने मिली भगत कर 6650 रुपए में पट्टा जारी कर दिया।