राज्य सभा में उठ चुक्का है मुद्दा
राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए 25जुलाई 2018 को राज्य सभा में उठा चुके है। उन्होंने सुप्रीम क ोर्ट के 2015 में दिए फैसले का हवाला देते हुए संघ व राज्य द्वारा इस बिन्दु पर किए गए कार्य की जानकारी मांगी गई है।आश्चर्य का विषय है कि जिम्मेदारों ने यह कहते हुए इस गंभीर विषय को समाप्त कर दिया कि वे सभी राज्यों को नगर सैनिकों को पुलिस के सामान वेतन जारी करने का आदेश जारी कर चुके है।
प्रत्येक कर्मचारी को होगा 5 से6हजार का फायदा
वेतन विसंगती को दूर करने गृह मंत्रालय भारत सरकार के अपर सचिव सुरेन्द्र ठाकुर ने 21सिंतबर 2018 को राज्य शासन के गृह विभाग को पत्र लिखा है। जिसमें प्रत्येक कर्मचारी को न्यूनतम वेतन मान 19500 रुपए देने का आदेश जारी किया है। लेकिन इस पत्र पर अब तक किसी तरह की पहल नहीं हुई है।
सामूहिक अवकाश लेने के मूड में
एक वर्ष पहले छत्तीसगढ़ पुलिस कर्मचारी के परिवार वालों ने अवकाश व अन्य मांगों को लेकर आंदोलन छेड़ दिया था। इसी तर्ज पर नगर सैनिकों ने भी पूरे प्रदेश में सामूहिक अवकाश लेने के मूड में है। नाम न छापने की शर्त पर नगर सैनिकों ने बताया कि उनकी सेवाएं नागरिक सुरक्षा के लिए लिया जा रहा है। इसलिए वर्तमान में उनका किसी तरह का संगठन नहीं हैं। वर्तमान में वे पूरी तरह उपेक्षित है। उनकी सेवाएं जिला अस्पताल, कोर्ट, तहसील कार्यालय, बंगला से लेकर यातायात नियंत्रण और अपादा प्रबंधन व आगजनी की घटना होने पर वे फायरब्रिगेड कर्मचारी के रुप में लिया जा रहा है। यहीं कारण है कि अब अपने हक के लिए मोर्चा खोलने का निर्णय ले रहे है।
सवा 2 सौ मंत्रालय ड्यूटी
नगर सैनिक प्रदेश के सभी जिलों में है। मंत्रालय क ी सुरक्षा और बाहरी व्यवस्था के लिए पुलिस के अलावा नगर सैनिकों की भी ड्यूटी लगाई जाती है। दुर्ग नगर सैनिक कार्यालय से 225 नगर सैनिकों को स्थायी रुप से नया रायपुर स्थित मंत्रालय भेजा गया है।