script

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भी नहीं बदल सका नगर सैनिकों की तकदीर

locationदुर्गPublished: Jul 22, 2019 10:35:06 pm

Submitted by:

Mukesh Deshmukh

सेवी संगठन के रुप में गठित नगर सैनिक ों से शासन वह सारा कार्य ले रही है, जो पुलिस के कर्मचारी करते है। 24 घंटा की रोटेशन ड्यूटी करने के बाद भी पगार के रुप में उन्हें केवल एक मुस्त 13200 रुपए दिया जा रहा है

patrika

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भी नहीं बदल सका नगर सैनिकों की तकदीर

दुर्ग @ patrika. आजादी के साथ ही 1947 में स्वंय सेवी संगठन के रुप में गठित नगर सैनिक ों से शासन वह सारा कार्य ले रही है, जो पुलिस के कर्मचारी करते है। 24 घंटा की रोटेशन ड्यूटी करने के बाद भी पगार के रुप में उन्हें केवल एक मुस्त 13200 रुपए दिया जा रहा है। खास बात यह है कि नगर सैनिकों को पुलिस के समकक्ष वेतन दिलाने याचिका पर फैसला सुना चुकी है। इसके बाद भी वे दो साल से उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं।
नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित सभी कार्य शासन-प्रशासन के अधिकारी नगर सैनिकों से लेती है। अस्पताल से लेकर यातायात व्यवस्था और क्लास १ अधिकारियों का बंगला ड्यूटी नगर सैनिक कर रहे है। इसके बाद भी उनकी दशा सुधारने की लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने किसी तरह की पहल नहीं की। छत्तीसगढ़ के 900 नगर सैनिकों के वेतन को लंबे समय बाद 1अप्रैल 2016 से से13200 रुपए किया गया है, लेकिन इसका लाभ नगर सैनिकों को 21 मई 2017 से मिला। वेतन लाभ के साथ 13 माह का एरियस भी दिया जाना था, लेकिन तत्कालीन डायरेक्टर ऑफ जनरल होमगार्ड गिरधारी नायक ने एरियस राशि पर रोक लगा दी। इसके बाद भी उपेक्षित नगर सैनिक अपने हक के लिए न तो राजनेता और न ही उच्च अधिकारियों के समक्ष गुहार लगाने की स्थिति में है।

राज्य सभा में उठ चुक्का है मुद्दा


राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए 25जुलाई 2018 को राज्य सभा में उठा चुके है। उन्होंने सुप्रीम क ोर्ट के 2015 में दिए फैसले का हवाला देते हुए संघ व राज्य द्वारा इस बिन्दु पर किए गए कार्य की जानकारी मांगी गई है।आश्चर्य का विषय है कि जिम्मेदारों ने यह कहते हुए इस गंभीर विषय को समाप्त कर दिया कि वे सभी राज्यों को नगर सैनिकों को पुलिस के सामान वेतन जारी करने का आदेश जारी कर चुके है।

प्रत्येक कर्मचारी को होगा 5 से6हजार का फायदा
वेतन विसंगती को दूर करने गृह मंत्रालय भारत सरकार के अपर सचिव सुरेन्द्र ठाकुर ने 21सिंतबर 2018 को राज्य शासन के गृह विभाग को पत्र लिखा है। जिसमें प्रत्येक कर्मचारी को न्यूनतम वेतन मान 19500 रुपए देने का आदेश जारी किया है। लेकिन इस पत्र पर अब तक किसी तरह की पहल नहीं हुई है।

सामूहिक अवकाश लेने के मूड में
एक वर्ष पहले छत्तीसगढ़ पुलिस कर्मचारी के परिवार वालों ने अवकाश व अन्य मांगों को लेकर आंदोलन छेड़ दिया था। इसी तर्ज पर नगर सैनिकों ने भी पूरे प्रदेश में सामूहिक अवकाश लेने के मूड में है। नाम न छापने की शर्त पर नगर सैनिकों ने बताया कि उनकी सेवाएं नागरिक सुरक्षा के लिए लिया जा रहा है। इसलिए वर्तमान में उनका किसी तरह का संगठन नहीं हैं। वर्तमान में वे पूरी तरह उपेक्षित है। उनकी सेवाएं जिला अस्पताल, कोर्ट, तहसील कार्यालय, बंगला से लेकर यातायात नियंत्रण और अपादा प्रबंधन व आगजनी की घटना होने पर वे फायरब्रिगेड कर्मचारी के रुप में लिया जा रहा है। यहीं कारण है कि अब अपने हक के लिए मोर्चा खोलने का निर्णय ले रहे है।

सवा 2 सौ मंत्रालय ड्यूटी
नगर सैनिक प्रदेश के सभी जिलों में है। मंत्रालय क ी सुरक्षा और बाहरी व्यवस्था के लिए पुलिस के अलावा नगर सैनिकों की भी ड्यूटी लगाई जाती है। दुर्ग नगर सैनिक कार्यालय से 225 नगर सैनिकों को स्थायी रुप से नया रायपुर स्थित मंत्रालय भेजा गया है।

ट्रेंडिंग वीडियो