12 से 15 क्विंटल तक सिमट गई
इन किसानों पर 56 करोड़ 83 लाख से ज्यादा का कर्ज बकाया है। खरीफ के दौरान अवर्षा के कारण इस बार औसत 40 फीसदी तक फसल खराब हो गई। किसानों की मानें तो सामान्य स्थिति में एक एकड़ में 25 क्विंटल औसत पैदावार होती है। सूखे के कारण इस बार यह 12 से 15 क्विंटल तक सिमट गई।
इन किसानों पर 56 करोड़ 83 लाख से ज्यादा का कर्ज बकाया है। खरीफ के दौरान अवर्षा के कारण इस बार औसत 40 फीसदी तक फसल खराब हो गई। किसानों की मानें तो सामान्य स्थिति में एक एकड़ में 25 क्विंटल औसत पैदावार होती है। सूखे के कारण इस बार यह 12 से 15 क्विंटल तक सिमट गई।
पंजीयन कराया
इसके चलते 10 से 15 फीसदी किसान खरीदी की लिमिट 15 क्विंटल के बराबर भी धान बिक्री नहीं कर पाए। जिले में इस बार 19 हजार 28 किसान धान बेचने ही नहीं पहुंचे। किसानों ने 1 लाख 2 हजार 743 हेक्टेयर का पंजीयन कराया था। इनसे करीब 35 लाख क्विंटल धान की खरीदी की उम्मीद थी। किसान 82606 हेक्टेयर की पैदावार लेकर पहुंचे। जिससे 10 लाख क्विंटल कम धान की आवक हुई। खरीफ सीजन में इस बार ठीक से बारिश नहीं हुई। करीब ७३ गांवों में फसल नाममात्र हुई। किसानों के हाथ कुछ नहीं आया।
इसके चलते 10 से 15 फीसदी किसान खरीदी की लिमिट 15 क्विंटल के बराबर भी धान बिक्री नहीं कर पाए। जिले में इस बार 19 हजार 28 किसान धान बेचने ही नहीं पहुंचे। किसानों ने 1 लाख 2 हजार 743 हेक्टेयर का पंजीयन कराया था। इनसे करीब 35 लाख क्विंटल धान की खरीदी की उम्मीद थी। किसान 82606 हेक्टेयर की पैदावार लेकर पहुंचे। जिससे 10 लाख क्विंटल कम धान की आवक हुई। खरीफ सीजन में इस बार ठीक से बारिश नहीं हुई। करीब ७३ गांवों में फसल नाममात्र हुई। किसानों के हाथ कुछ नहीं आया।
सूखा राहत की उम्मीद
राज्य शासन इस बार सूखा प्रभावित किसानों को राहत राशि वितरित कर रही है। इसकी घोषणा खरीदी के दौरान किया गया। इसके साथ ही खरीदी के आंकड़े से मिलान के बाद ही मुआवजा भुगतान की शर्त भी लगा दी गई थी।अनुमान है कि कई किसानों ने मुआवजा के लिए धान बिक्री नहीं किया। संयोजक प्रगतिशील किसान संगठन दुर्ग राजकुमार गुप्ता ने बताया कि जिले में औसत पैदावार 25 क्विंटल प्रति एकड़ है। सूखे के कारण इस बार केवल 12 से 15 क्विंटल पैदावार हुई। धान की पैदावार के लिए किसानों को प्रति एकड़ करीब 23 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है।
राज्य शासन इस बार सूखा प्रभावित किसानों को राहत राशि वितरित कर रही है। इसकी घोषणा खरीदी के दौरान किया गया। इसके साथ ही खरीदी के आंकड़े से मिलान के बाद ही मुआवजा भुगतान की शर्त भी लगा दी गई थी।अनुमान है कि कई किसानों ने मुआवजा के लिए धान बिक्री नहीं किया। संयोजक प्रगतिशील किसान संगठन दुर्ग राजकुमार गुप्ता ने बताया कि जिले में औसत पैदावार 25 क्विंटल प्रति एकड़ है। सूखे के कारण इस बार केवल 12 से 15 क्विंटल पैदावार हुई। धान की पैदावार के लिए किसानों को प्रति एकड़ करीब 23 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है।
54 फीसदी ही वसूली हो पाई
किसानों ने इस हिसाब से कर्ज लिया था, लेकिन पैदावार पर्याप्त नहीं हुई। इसलिए कर्ज की वापसी संभव नहीं हुआ। सीईओ जिला सहकारी केंद्रीय बैंंक संतोष निवसरकर ने बताया कि अब तक करीब 20 हजार किसानों ने कर्ज नहीं लौटाया है। कुछ किसानों ने कम वापसी की है। इसके चलते करीब 54 फीसदी ही वसूली हो पाई है। कर्ज की वसूली जून तक चलती है, इसलिए अभी और भी वापसी की उम्मीद है।
किसानों ने इस हिसाब से कर्ज लिया था, लेकिन पैदावार पर्याप्त नहीं हुई। इसलिए कर्ज की वापसी संभव नहीं हुआ। सीईओ जिला सहकारी केंद्रीय बैंंक संतोष निवसरकर ने बताया कि अब तक करीब 20 हजार किसानों ने कर्ज नहीं लौटाया है। कुछ किसानों ने कम वापसी की है। इसके चलते करीब 54 फीसदी ही वसूली हो पाई है। कर्ज की वसूली जून तक चलती है, इसलिए अभी और भी वापसी की उम्मीद है।