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भारतमाला परियोजना: दुर्ग और राजनांदगांव के किसानों के लिए बड़ा दिन, जमीन अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर याचिका हाईकोर्ट में मंजूर

locationदुर्गPublished: Jul 22, 2021 11:37:29 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

Bharatmala Pariyojana: जमीन अधिग्रहण के ढाई साल बाद भी मुआवजा नहीं मिलने से नाराज दुर्ग और राजनांदगांव जिले के 40 किसानों ने सामूहिक याचिका लगाई है।

भारतमाला परियोजना: दुर्ग और राजनांदगांव के किसानों के लिए बड़ा दिन, जमीन अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर याचिका हाईकोर्ट में मंजूर

भारतमाला परियोजना: दुर्ग और राजनांदगांव के किसानों के लिए बड़ा दिन, जमीन अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर याचिका हाईकोर्ट में मंजूर

दुर्ग. भारतमाला परियोजना की दुर्ग-रायपुर के बीच प्रस्तावित सिक्सलेन एक्सप्रेस हाइवे के लिए किसानों से जमीन अधिग्रहण और इसके एवज में मुआवजे के मामले को लेकर किसानों की ओर से दायर याचिका सुनवाई के लिए मंजूर कर ली गई है। हाईकोर्ट ने दुर्ग और राजनांदगांव के किसानों के मामलों की सुनवाई के लिए गुरुवार का दिन मुकर्ऱर किया है। जमीन अधिग्रहण के ढाई साल बाद भी मुआवजा नहीं मिलने से नाराज दुर्ग और राजनांदगांव जिले के 40 किसानों ने सामूहिक याचिका लगाई है। भारतमाला परियोजना के तहत दुर्ग-रायपुर के बीच सिक्सलेन सड़क प्रस्तावित है। इस सड़क के लिए जिले के 26 गांव के 1349 किसानों की जमीन, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत अधिग्रहण किया गया है। जमीन के अधिग्रहण के लिए नेशनल हाइवे की ओर से 9 मार्च 2018 को अधिसूचना प्रकाशित की जा चुकी है। जमीन की मार्किंग कर खंभे भी लगा दिए गए हैं, लेकिन अब तक दुर्ग व पाटन दोनों ब्लाक और राजनांदगांव जिले में न मुआवजे की स्थिति स्पष्ट हुई है और न ही भुगतान हुआ है। सूचना का अधिकार में मुआवजे की गणना में भी गड़बड़ी का खुलासा हो चुका है।
मुआवजे को लेकर यह असन्तोष
0 प्रावधान के अनुरूप कलेक्टर दर से दोगुने और इतने ही सोलेसियम यानि 4 गुना मुआवजा का प्रस्ताव तैयार करना था, लेकिन दुर्ग ब्लॉक के अफसरों ने केवल कलेक्टर दर और इतने ही सोलेसियम यानि 2 गुना दर पर मुआवजा का प्रस्ताव नेशनल हाइवे को भेज दिया। इस पर नेशनल हाइवे ने 100 करोड़ राशि भी जारी कर दिया है। इस गड़बड़ी से दुर्ग ब्लाक के 12 गांव के 635 किसानों को 100 करोड़ का नुकसान हो रहा है।
0 राजनांदगांव के किसानों की जमीन के अधिग्रहण में भी दुर्ग की तरह अनियमितता की शिकायत है। बताया जा रहा है कि यहां के किसानों की भी जमीन अधिग्रहित कर ली गई है। वहांं भी भू-अर्जन अधिकारी ने शासन के कलेक्टर दर से दोगुना दर और इतने ही सोलेसियम के आदेश को दरकिनार कर दुर्ग की तरह केवल 2 गुना का प्रस्ताव भेज दिया है, जिसे स्वीकार कर राशि जारी कर दी गई है।
आरंग के किसान की सुनवाई 29 को
दुर्ग व राजनांदगांव की तरह रायपुर जिले के आरंग ब्लाक के किसानों के मुआवजे की गणना में गड़बड़ी और अब तक भुगतान नहीं किए जाने की शिकायत है। दुर्ग की तरह यहां भी अब तक प्रशासन की ओर से किसानों के नाम अवार्ड प्रकाशन नहीं कराया गया है। इसे देखते हुए यहां के किसानों ने भी हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। इस पर 29 जुलाई की तिथि सुनवाई के लिए तय की गई है। प्रभावित किसान व एडवोकेट जेके वर्मा ने बताया कि भू-अर्जन अधिकारियों की लापरवाही और संवादहीनता के कारण यह स्थिति बनी है। किसानों को कोर्ट की शरण में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। हाईकोर्ट में किसानों की ओर से सामूहिक याचिका दायर की गई है। इसमें सभी संबंधितों को पक्षकार बनाया गया है। दुर्ग और राजनांदगांव के किसानों के मामलों की सुनवाई के लिए गुरुवार की तिथि तय की गई है।
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