नेशनल हाइवे की लेटलतीफी के कारण जमीन अधिग्रहण का मामला दो साल से अधर में चल रहा है। पहले जमीन के नापजोख और बाद में परिसंपत्तियों के मूल्यांकन में देरी की गई खास बात यह है कि जिला प्रशासन ने प्रस्तावित इलाके में जमीन की खरीदी बिक्री पर रोक लगा रखी है। इसके कारण किसान न तो जमीन बेच पा रहे हैं और न ही कोई दूसरा उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
सड़क के मुआवजे को लेकर भी पेंच की बात सामने आई है। जिला प्रशासन के अफसरों की मानें तो नेशनल हाइवे के अफसर कलेक्टर गाइड लाइन की दर पर 100 फीसदी सोलेसियम यानि दोगुना मुआवजा के पक्ष में है। जबकि जिला प्रशासन ने राज्य शासन के निर्णय के अनुसार कलक्टर दर के दोगुना और इतना ही सोलेसियम का प्रस्ताव बनाया है।
सीएम भूपेश बघेल ने पिछले दिनों दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री से मिलकर भू-अर्जन के एवज में राशि भुगतान की मांग की थी। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराया कि भारत सरकार द्वारा भू-स्वामियों को भू-अर्जन की राशि का भुगतान नहीं हो रहा है। जिससे भू-स्वामियों में रोष है। इन भू-स्वामियों को शीघ्र मुआवजा राशि का भुगतान कराने का उन्होंने आग्रह किया था।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने ताजा मास्टर प्लान में 23 हाइवे व एक्सप्रेसवे का प्रोजेक्ट शामिल है। इसमें दुर्ग-रायपुर से लेकर आरंग तक 92.5 किमी एक्सप्रेसवे भी शामिल है। 2281 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में दुर्ग और रायपुर के किसानों को मिलाकर 702 करोड़ मुआवजे के रूप में भुगतान का प्रस्ताव है। इसमें जिले के 26 गांव के 1349 किसानों को 480 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा भुगतान किया जाना है। इस सड़क को अगले साल टेंडर जारी कर मार्च 2024 तक पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया है।