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न्याय और सम्मान के बाद भी कर्ज से नहीं उबर पाए किसान, खेती के लिए लिया 655 करोड़ से ज्यादा कर्ज

राज्य और केंद्र सरकार के प्रोत्साहन के बाद भी किसान कर्ज की मानसिकता से उबर नहीं पा रहे हैं। इसका प्रमाण खेती से पहले सहकारी बैंक से लिया जाने वाला कर्ज है। मौजूदा खरीफ सीजन की अभी शुरूआत है और जिला सहकारी बैंक के अधीन आने वाले तीन जिले के 1 लाख 8 हजार से ज्यादा किसानों ने 655 करोड़ से ज्यादा कर्ज ले लिया। वहीं बैंक ने पूरे सीजन में 1250 करोड़ ऋण वितरण का लक्ष्य रखा है।

दुर्गJun 27, 2022 / 08:47 pm

Hemant Kapoor

किसानों ने लिया 655 करोड़ से ज्यादा कर्ज

खेती को लाभकारी बनाकर किसानों को कर्ज से मुक्त करने प्रभावी कदमों की मांग लगातार उठती रही है। इसे देखते हुए राज्य व केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित में कई प्रोत्साहन की योजनाएं भी चलाई जा रहीं हैं। इसके तहत समर्थन मूल्य पर कृषि उपजों की खरीदी के साथ कई जरूरी चीजों पर सब्सिडी की व्यवस्था दी जा रही है। हालात यह है कि राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना और केंद्र की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के रूप में अलग से आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। इसके बाद भी खेती के लिए बैंकों से लिए जाने वाले कर्ज की राशि लगातार बढ़ती जा रही है।

इन योजनाओं से सीधा लाभ

राजीव गांधी किसान न्याय योजना – प्रदेश सरकार द्वारा राज्य व केंद्र के समर्थन मूल्य में अंतर की राशि को किसानों तक पहुंचाने के लिए योजना के तहत 9 हजार रुपए प्रति एकड़ सालाना नगद राशि देने का प्रावधान किया गया है। किसानों को सहुलियत हो इसलिए यह जरूरत के हिसाब से चार किस्तों में दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि – राज्य की तरह किसानों को समय समय पर सीधे आर्थिक सहायता पहुंचाने की मंशा से केंद्र सरकार द्वारा यह योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत प्रत्येक किसान को सालाना 6 हजार रुपए नगद देने का प्रावधान किया गया है। यह राशि भी किसानों को 2-2 हजार रुपए के तीन किस्त में उपलब्ध कराया जाता है।
इनपुट सब्सिडी और मुफ्त स्कीम – उक्त योजनाओं के तहत डायरेक्ट बेनीफिट के अलावा केंद्र व राज्य सरकार द्वारा खाद, बीज व कृषि उपयोगी अन्य सामग्रियों पर इनपुट सब्सिडी का भी प्रावधान है। इनपुट सब्सिडी का लाभ भी लगभग हर किसान को मिलता है। सिंचाई पम्पों को मुफ्त बिजली दी जाती है। किसान पेंशन पर भी विचार चल रहा है।

इसलिए बढ़ रहा आकर्षण

जीरो ब्याज – सहकारी बैंक के माध्यम से सदस्य किसानों को निश्चित राशि बिना ब्याज के ही कर्ज के रूप में दी जाती है। इसमें 60 फीसदी नगद राशि और शेष 40 फीसदी राशि का खाद-बीज आदि सामग्री शामिल होते हैं। किसानों को यह कर्ज कृषि सीजन की शुरूआत में ही मिल जाता है।
लिंकिंग से वसूली – किसानों को यह राशि खेती के बाद समर्थन मूल्य पर धान विक्रय के दौरान लिंकिंग के माध्यम से यह राशि लौटाना होता है। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के भुगतान के दौरान बैंक यह राशि काट लेती है। इस तरह किसानों को तकाजे जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।
दीगर उपयोग की छूट – सामान्य तौर पर बैंकों में दूसरे ऋणों में राशि उसी मकसद में खर्च करने की बाध्यता रहती है। बैंक इसका परीक्षण भी करता है, लेकिन कृषि ऋण में ऐसा नहीं होता। किसान ऋण में मिली राशि का उपयोग दूसरे मकसद में भी कर लेते हैं। इस तरह किसानों की कर्ज से दीगर जरूरतें भी पूरी हो जाती है।

इस बार दोगुना हो गया कर्ज
राज्य व केंद्र की प्रत्यक्ष प्रोत्साहन योजना के बाद भी इस बार किसानों द्वारा लिए गए कर्ज की राशि दोगुनी हो गई है। पिछले खरीफ सीजन में इस अवधि तक तीनों जिले को मिलाकर किसानों ने 296 करोड़ 28 लाख का कर्ज लिया था। इस बार यह राशि 655 करोड़ 61 लाख तक पहुंच गई है। यह राशि सहकारी बैंक द्वारा निर्धारित लक्ष्य का महज 52 फीसदी ही है। ऐसे में यह राशि अभी और बढ़ेगी।
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