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दुर्ग

गर्मी में धान बोकर बुरे फंसे किसान, पुराने धान का निपटारा नहीं, खुले बाजार में आधे कीमत पर भी नहीं मिल रहे खरीददार

खरीफ में 2500 रुपए में बिकने वाले धान को आधी कीमत यानि 1200 रुपए क्विंटल में भी कोई खरीदने को तैयार नहीं है।

दुर्गMay 29, 2021 / 02:33 pm

Dakshi Sahu

दुर्ग. ग्रीष्मकालीन धान की खेती इस बार किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। पहले बोनी से लेकर फसल की कटाई तक कई दौर में बेमौसम बारिश ने परेशान किया, वहीं अब पैदावार का खरीदार नहीं मिल रहे हैं। खरीफ में 2500 रुपए में बिकने वाले धान को आधी कीमत यानि 1200 रुपए क्विंटल में भी कोई खरीदने को तैयार नहीं है। लिहाजा इस बार लागत भी वसूल हो पाना मुश्किल लग रहा है। दुर्ग जिले में करीब 5 हजार किसानों ने इस बार 5 हजार 410 हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन धान की फसल लगाई थी।
ज्यादा उपज की लालच में खेती
ग्रीष्मकाल में खरीफ की तुलना में धान की ज्यादा पैदावार होती है। दरअसल ग्रीष्म ज्यादा गर्मी के कारण धान की फसल में कीट व्याधि का खतरा कम होता है, इससे उपज बढ़ जाती है। किसानों के मुताबिक खरीफ में जिले में जहां 16 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार होती है, वहीं ग्रीष्म में यह 20 से 24 क्विंटल तक पहुंच जाता है।
इस बार पैदावार आधे में ही अटका
इस बार धान की फसल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित रहा। खेती के सीजन में चार बार बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की स्थिति बनीं। इतना ही नहीं फसल की कटाई से ठीक पहले बारिश व ओलावृष्टि ने फसल को तबाह कर दिया। इस कारण जहां 20 से 24 क्विंटल औसत पैदावार होना था, वहां किसानों को औसत 15 क्विंटल प्रति एकड़ से ही संतोष करना पड़ा।
लागत मूल्य भी नहीं हो रहा वसूल
किसानों की मानें तो ग्रीष्मकालीन धान की खेती में 20 से 25 हजार प्रति एकड़ तक खर्च बैठता है। सामान्य स्थिति में 20 से 24 क्विंटल पैदावार व बाजार में ठीक-ठाक कीमत से 5 से 10 हजार तक लाभ की स्थिति बन जाती है, लेकिन इस बार ज्यादा पैदावार कम है, वहीं खरीदार नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में औने-पौने दाम पर धान बेचना पड़ रहा है, इससे लागत मूल्य भी वसूल नहीं हो रहा।
पुराने धान का निपटान नहीं इसलिए दिक्कत
जिले में इस बार समर्थन मूल्य पर उपार्जित खरीफ सीजन के धान का अब तक निपटान नहीं हुआ है। हालात यह रहा कि 5.25 लाख क्विंटल धान सप्ताहभर पहले तक भंडारित रहा। इसमें से 3 लाख क्विंटल धान नीलाम किया गया है। यह धान जिले के कई मिलर्स ने खरीदी है। लिहाजा मिलों में अभी भी मिलिंग का काम चल रहा है। सामान्य स्थिति में अधिकतर मिलर्स ही किसानों से ग्रीष्मकालीन धान की खरीदी करते हैं।
नहीं मिल रहा लाभ
रवि प्रकाश ताम्रकार, संयोजक, संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि सरकारी खरीदी की व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्रीष्म में धान लेने वाले किसानों को पहले ही पैदावार के अनुरूप लाभ नहीं मिल रहा था। इस बार बारिश और धान के निपटान में देरी से स्थिति खराब हो गई है। मिलर्स किसानों से धान ख्ररीद नहीं रहे हैं। ऐसे में किसानों को औने-पौने दाम पर धान बेचना पड़ रहा है। लागत मूल्य भी वसूल नहीं हो रहा है।

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