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दुर्ग

भारत माला परियोजना-किसानों ने लिखा गड़करी को पत्र, बोले मुआवजा दें या फिर छोड़ें जमीन

भारत माला परियोजना के दुर्ग-नया रायपुर एक्सप्रेस कॉरिडोर के मुआवजा में देरी पर एक बार फिर किसानों का आक्रोश सामने आया है। नाराज किसानों ने केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को पत्र लिखकर मामले में लेटलतीफी को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। किसानों ने पत्र में 22 माह बाद भी मुआवजा नहीं मिलने का हवाला देते हुए जमीन को अधिग्रहण से मुक्त करने की मांग की है।

दुर्गJan 27, 2020 / 08:46 pm

Hemant Kapoor

दुर्ग. भारत माला परियोजना के तहत दुर्ग से नया रायपुर के बीच सिक्स लेन एक्सप्रेस कॉरिडोर प्रस्तावित है। यह सड़क जिले के दुर्ग व धमधा ब्लॉक के करीब दो दर्जन गांवों से होकर गुजरेगी। सड़क के लिए जिला प्रशासन द्वारा अधिग्रहण के लिए जमीन की मार्किंग कर प्रस्ताव नेशनल हाइवे अथॉरिटी को भेज दिया है। इस बीच प्रक्रिया में 22 माह से अधिक समय बीत गया है और मुआवजे की राशि किसानों को कब तक नहीं मिलेगी यह भी स्पष्ट नहीं है। इसे लेकर किसानों में नाराजगी है। किसानों का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों की लेटलतीफी के कारण मुआवजे में देरी हो रही है।

22 माह बाद भी मुआवजा नहीं
किसानों के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत 9 मार्च 2018 को जमीन अधिग्रहण के लिए प्रारंभिक अधिसूचना प्रकाशित की गई थी। इसके बाद 7 सितंबर 2018 को राजपत्र में सरकार द्वारा अधिग्रहण का उद्घोषणा प्रकाशित कर दी गई है। दूसरी ओर प्रारंभिक अधिसूचना के 22 माह और उद्घोषणा के 1६ माह बाद भी मुआवजे की राशि स्वीकृत नहीं हो पाई है।

एक साल के भीतर भुगतान का प्रावधान
राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा 3 डी के मुताबिक राजपत्र में सरकार द्वारा उद्घोषणा प्रकाशन के बाद एक साल के भीतर जमीन के एवज में मुआवजा व सभी दायित्वों को भुगतान जरूरी है। इसके विपरीत जमीन के अधिग्रहण के बाद करीब 2 साल का समय बीतने को है, लेकिन मुआवजा स्वीकृति के संबंध में कोई भी जानकारी सामने नहीं आ रही है।

जमीन का नहीं कर पा रहे उपयोग
किसानों के मुताबिक राजपत्र में उद्घोषणा प्रकाशन के साथ की प्रस्तावित जमीन तकनीकी तौर पर शासन के अधीन अंतरित मान लिया जाता है। उक्त खसरे की जमीन अथवा उसका टुकड़ा न तो बेंचा जा सकता है और न ही स्वरूप में परिवर्तन किया जा सकता है। इसके अलावा अधिकार भी नहीं बदला जा सकता। इससे किसान जमीन का कोई उपयोग नहीं कर पा रहे।

अफसर भुगतान पर गंभीर नहीं
प्रभावित किसान व अधिवक्ता जेके वर्मा का कहना है कि किसानों की जमीन अधिग्रहण के एक साल के भीतर मुआवजा व सभी दायित्वों का भुगतान कर देने का प्रावधान है, लेकिन जिला प्रशासन व नेशनल हाइवे के अधिकारी इसे लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। दूसरी ओर किसान जमीन का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं व असमंजस की स्थिति में हैं। केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर तत्काल मुआवजा भुगतान की मांग की गई है।
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