पार्वती आडिल कहती हैं कि मेरे पंचायत में 20 एकड़ सरकारी भाठा जामीन है। वर्षों से बंजर पड़ी थी। अधिकारी पंचायत में पौधरोपण के सिलसिले में आए थे। भाठा जमीन पर पौधरोपण करने की बात हुई। मैंने शर्त रखी की पौधरोपण मैं अपने हिसाब से करवाऊंगी। मैंने कहा यहां सिर्फ फलदार पौधे लगाए जाएंगे। इससे पंचायत को आमदनी होगी। लोगों को रोजगार भी मिलेगा। अधिकारियों ने पूछा यह कैसे होगा। मैंनें कहा अलग-अलग किस्म के फलदार पौधे लगाए जाएंगे। बड़े होने पर इसमें किसी न किसी किस्म के पौधों में सीजन के अनुसार बारहों महिने फल लगेगें। फल लगना शुरू होगा, तब इसे इच्छुक महिला समितियों को लीज पर दें देंगे। इससे पंचायत को फंड मिलेगा और महिला समूह को भी आमदनी होगी। पौधे भी सुरक्षित रहेंगे।
पौधरोपण के सिलसिले में आए अधिकारी पार्वती की बातों से सहमत हुए। उसके बाद पौधरोपण का काम शुरू हुआ। चरणबद्ध तीन हजार से अधिक फलदार पौधे रोपे गए। पौधरोपण मनरेगा मद से हुआ। पौधे बड़े हो रहे हैं। बंजर जमीन में हरियाली आ गई है। पौधों की तीन साल तक देखभाल मनरेगा मद से किया जा रहा है।
पार्वती आडिल की उम्दा सोच यहीं तक नहीं रही। उन्होंने इसके आगे भी सोचा और उसे पूरा करने के लिए जुट गई हैं। इस काम में सभी पंचों खासकर महिला पंच पूरा सहयोग कर रही हैं। फलोद्यान में रोपे गए पौधों के बीच खाली जगह पर सब्जी की खेती होगी। इसके लिए फलोद्यान के बीचोंबीच ड्रीप के लिए नल लगाए जा रहे हैं। पार्वती कहती हैं कि गांव की महिला समूह से जुड़ी गरीब महिलाएं यहां सब्जी उगाएंगी। इससे उनको आमदनी होगी। गांव के लोगों को सब्जी मिलेगी। पार्वती बताती हैं कि फलोद्यान के पास ही खाली जमीन है उसमें तालाब का निर्माण किया जाएगा। आगे वहां संभावना दिखी तो मछली पालन के बारे में भी सोचेंगे।
1000-नीबू
500-नारियल
400-कटहल
250-आम
500-जामुन
250-बेर
108-नारियल
100-रामफल
50-मुनगा
50- आंवला