scriptउप पंजीयक, तहसीलदार व पटवारी के खिलाफ FIR, कलेक्टर के अनुमति के बिना कर दी सरकारी जमीन की रजिस्ट्री | FIR against Deputy Registrar, Tehsildar and Patwari in Durg | Patrika News

उप पंजीयक, तहसीलदार व पटवारी के खिलाफ FIR, कलेक्टर के अनुमति के बिना कर दी सरकारी जमीन की रजिस्ट्री

locationदुर्गPublished: May 10, 2018 10:24:48 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

अरसनारा स्थित 2.50 हेक्टेयर सरकारी जमीन को रजिस्ट्री कर प्रमाणीकरण मामले में आर्थिक अपराध अनुसंधान (इओडब्ल्यू) ने एफआइआर दर्ज की है।

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दुर्ग . अरसनारा स्थित 2.50 हेक्टेयर सरकारी जमीन को रजिस्ट्री कर प्रमाणीकरण मामले में आर्थिक अपराध अनुसंधान (इओडब्ल्यू) ने एफआइआर दर्ज की है। इस अपराध में तत्कालीन उप पंजीयक मीना वाढेरा, तत्कालीन तहीसलदार आरबी देवांगन और पटवारी मेहत्तर लाल वर्मा को आरोपी बनाया गया है।
मंगलवार को इओडब्ल्यू की टीम ने दुर्ग तहसील कार्यालय तीन घंटे तक दस्तावेज की जांच की। अधिकारियों ने प्रकरण से संबंधित वर्ष 2014 के सारे दस्तावेजों को जब्त कर लिया है। तहसील कार्यालय के लिपिक से पूछताछ की। टीम तहसील कार्यालय के रीडर के अवकाश पर होने के कारण कुछ दस्तावेजों का अवलोकन नहीं कर पाई है। अब गुरुवार को सुबह ११ बजे दोबारा तहसील कार्यालय में आगे की जांच करेंगे।
समेलिया ने पहला सौदा कैंसल कर बेची जमीन
जानकारी के मुताबिक समलिया ने सरकारी जमीन को बेचने के लिए पहले भिलाई निवासी अविनाश से सौदा किया था। अनिवनाश से २ लाख रुपए एडवांस भी लिया था। बाद में रामरतन ने जमीन की कीमत सौदे की कीमत से ५ लाख रुपए अधिक देने का लालच दिया और जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम पर करा लिया। समलिया ने जमीन का सौदा रद्द करने के बाद एडवांस रकम भी नहीं लौटाया।
उप पंजीयक मीना वाढेरा
कलेक्टर की अनुमति के बिना रजिस्ट्रीकर दी। यह जमीन सराकारी है और पट्टे पर है। इसके लिए कलेक्टर की अनुमति जरुरी है। उप पंजीयक ने कलेक्टर की अनुमति के बिना सरकारी जमीन की रजीस्ट्री की।
तहसीलदार आरबी देवांगन
आपत्ति के बाद भी नामांतरण किया। अभिलेख में क्रेता का नाम दर्ज कराने का निर्देश दिया।

पटवारी महेत्तर राम
प्रकरण की जानकारी थी फिर भी अभिलेख में कांटछांट किया और रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज दिया।
मनोहर ज्ञानचंदानी ने की थी आपत्ति
शिकायतकर्ता मनोहर ज्ञानचंदानी ने बताया कि जमीन प्रमाणीकरण और अभिलेक में नाम चढ़ाने की प्रक्रिया के लिए तहसील कार्यालय से पेपर प्रकाशन कराया गया था। इश्ताहार पढ़कर कलेक्टोरेट के नकल शाखा से दस्तावेज एकत्र किया। सुनवाई में जमीन नामांतरण पर रोक लगाने आवेदन दिया तब भी तहसीलदार ने ९ सिंतबर २०१४ को जमीन नामांतरण का आदेश पारित किया। एंटी करप्शन ब्यूरो ने शिकायत इओडब्ल्यू को सौंपी।
यह है मामला

अरसनारा निवासी बिसेलाल को जीवन यापन करने 2.50 हेक्टेयर जमीन (खसरा नंबर १११) को पट्टे में दिया था। बिसेलाल की मृत्यु के बाद वह जमीन उसके बेटे समलिया व तीन पुत्रियों के नाम पर दर्ज हो गईा। समलिया ने जमीन को अपनी बहनों के साथ मिलकर जामुल निवासी रामरतन साहू को बेच दिया।
जमीन का बाजार दर लगभग 50 लाख रुपए बताया गया है। निरीक्षक आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा रायपुर फरहान कुरैशी ने बताया कि प्रकरण में 2 मई 2018 को एफआईआर दर्ज किया गया। एफआईआर दर्ज करने के बाद दस्तावेज संकलन किया जा रहा है। दस्तावेज का अध्यन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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