जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक शुक्रवार को जिला पंचायत के सभाकक्ष में हुई। बैठक के लिए सदस्यों को बुलाया गया था, लेकिन अधिकारियों को इसमें वर्चुअल जोड़ा गया। बैठक में सदस्य मोनू साहू ने पंद्रहवें वित्त आयोग के प्रस्ताव का मामला उठाया। उन्होंने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में वित्त आयोग से 3 करोड़ 28 लाख रुपए मिले थे। यह राशि तब सत्तापक्ष के सदस्यों ने मिलीभगत कर अपने इलाके में खर्च कर लिए थे। यह मामला जिला पंचायत की बैठक में उठा था तो फिर राशि मिलने पर विपक्षी सदस्यों के क्षेत्रों में खर्च करने का भरोसा दिलाया गया था, लेकिन अब इस वर्ष की राशि 3 करोड़ 26 लाख में से भी केवल 20 लाख भाजपा सदस्यों के क्षेत्र में खर्च करने प्रस्ताव मांगा जा रहा है। भाजपा सदस्यों का कहना था कि दो साल की राशि को मिलाकर कम से कम एक सदस्य के क्षेत्र में 54 लाख रुपए खर्च किया जाना चाहिए। इसके विपरीत केवल 20 लाख का प्रस्ताव मांगा जा रहा है। विपक्षी सदस्यों की इस मांग पर सत्ता पक्ष ने दो टूक शब्दों में इससे ज्यादा राशि नहीं मिलने की बात कह दी। इससे माहौल गरमा गया और सदस्य आमने-सामने हो गए। करीब आधे घंटे तक इसे लेकर विवाद चलता रहा, लेकिन सत्तापक्ष टस से मस नहीं हुआ। अंतत: विपक्षी सदस्यों ने भी चुप्पी साध ली।
बैठक में बेमौसम बारिश और बदली से फसलों को नुकसान पर भी चर्चा की गई। विपक्षी सदस्यों ने विभागीय अफसरों से फसल क्षति की वास्तविक स्थिति सदन में रखने की मांग की। इस पर अफसरों ने बताया कि मैदानी अमले को सर्वे के लिए कहा गया है। इसकी रिपोर्ट अभी आई नहीं है। रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक स्थिति का पता चलेगा। इस पर दस दिन बाद भी रिपोर्ट नहीं आने पर सदस्यों ने नाराजगी जताई।
जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक में पहली बार अधिकारियों को प्रत्यक्ष बुलाने के बजाए वर्चुअल जोड़ा गया था, लेकिन मोबाइल नेटवर्क और लिंक फेल होने की समस्या ने सदस्यों और अधिकारियों को जमकर परेशान किया। इसके चलते किसी भी विषय पर गंभीरता से चर्चा नहीं हो पाई। कई अधिकारी बैठक में समय पर जुड़ नहीं पाए।