मामले को लेकर गतिरोध चल रहा था
नगर निगम की मार्च की बजट बैठक के बाद एक भी सामान्य सभा नहीं हुई है। इसका हवाला देते हुए 17 कांग्रेसी और 5 निर्दलीय पार्षदों ने 19 सितंबर को सभापति राजकुमार नारायणी को पत्र सौंपकर धारा 30 के तहत विशेष सामान्य सभा बुलाने की मांग की थी। इस पर सभापति ने 4 अक्टूबर की तारीख तय करते हुए बैठक बुलाने कमिश्नर एसके सुन्दरानी को निर्देश जारी किया । कमिश्नर ने यह पत्र महापौर चंद्रिका चंद्राकर को भेजकर मंतव्य मांगा था। इस पर महापौर ने बिना उनकी सहमति के तिथि तय किए जाने व सामान्य सभा के लायक जनहित के मुद्दे नहीं होने संबंधी टीप लिखकर पत्र कमिश्नर को वापस लौटा दिया था। इसके बाद से मामले को लेकर गतिरोध चल रहा था।
नगर निगम की मार्च की बजट बैठक के बाद एक भी सामान्य सभा नहीं हुई है। इसका हवाला देते हुए 17 कांग्रेसी और 5 निर्दलीय पार्षदों ने 19 सितंबर को सभापति राजकुमार नारायणी को पत्र सौंपकर धारा 30 के तहत विशेष सामान्य सभा बुलाने की मांग की थी। इस पर सभापति ने 4 अक्टूबर की तारीख तय करते हुए बैठक बुलाने कमिश्नर एसके सुन्दरानी को निर्देश जारी किया । कमिश्नर ने यह पत्र महापौर चंद्रिका चंद्राकर को भेजकर मंतव्य मांगा था। इस पर महापौर ने बिना उनकी सहमति के तिथि तय किए जाने व सामान्य सभा के लायक जनहित के मुद्दे नहीं होने संबंधी टीप लिखकर पत्र कमिश्नर को वापस लौटा दिया था। इसके बाद से मामले को लेकर गतिरोध चल रहा था।
विधायक व पार्षदों ने की थी शिकायत
बैठक नहीं बुलाए जाने से नाराज कांग्रेसी पार्षदों ने विधायक अरुण वोरा, सभापति राजकुमार नारायणी के नेतृत्व में संभाग आयुक्त ब्रजेशचंद्र मिश्रा को ज्ञापन सौंपकर शिकायत की थी। इसमें पार्षदों ने संभाग आयुक्त से मामले में हस्तक्षेप कर बैठक बुलाने मांग की थी। इस पर संभाग कार्यालय ने शासकीय अभिभाषक को पत्र लिखकर बैठक कराने संबंधी अधिकार व प्रावधानों की जानकारी भी मंगाई थी।
बैठक नहीं बुलाए जाने से नाराज कांग्रेसी पार्षदों ने विधायक अरुण वोरा, सभापति राजकुमार नारायणी के नेतृत्व में संभाग आयुक्त ब्रजेशचंद्र मिश्रा को ज्ञापन सौंपकर शिकायत की थी। इसमें पार्षदों ने संभाग आयुक्त से मामले में हस्तक्षेप कर बैठक बुलाने मांग की थी। इस पर संभाग कार्यालय ने शासकीय अभिभाषक को पत्र लिखकर बैठक कराने संबंधी अधिकार व प्रावधानों की जानकारी भी मंगाई थी।
शिकायत में यह बताया था पार्षदों ने
कांग्रेसी पार्षदों ने संभाग आयुक्त को बताया था निगम अधिनियम में एक तिहाई से ज्यादा पार्षद एकजुट होकर विशेष सामान्य सभा बुलाने की मांग कर सकते हैं। यहां 22 पार्षदों ने बैठक की मांग की है। इस पर सभापति की सहमति है। लेकिन सत्तारूढ़ दल द्वारा ऐसा नहीं किया गया।
कांग्रेसी पार्षदों ने संभाग आयुक्त को बताया था निगम अधिनियम में एक तिहाई से ज्यादा पार्षद एकजुट होकर विशेष सामान्य सभा बुलाने की मांग कर सकते हैं। यहां 22 पार्षदों ने बैठक की मांग की है। इस पर सभापति की सहमति है। लेकिन सत्तारूढ़ दल द्वारा ऐसा नहीं किया गया।
अवर सचिव ने भी कहा था बैठक बुलाने
कमिश्नर ने नगरीय प्रशासन को 27 सितंबर को पत्र लिखकर मामले में मार्गदर्शन मांगा था। इस पर अवर सचिव एचआर दुबे ने भी 16 नवंबर को कमिश्नर को पत्र भेजकर अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देकर विशेष सामान्य सभा की बैठक बुलाने की सलाह दी थी। इसके बाद भी बैठक को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया था।
कमिश्नर ने नगरीय प्रशासन को 27 सितंबर को पत्र लिखकर मामले में मार्गदर्शन मांगा था। इस पर अवर सचिव एचआर दुबे ने भी 16 नवंबर को कमिश्नर को पत्र भेजकर अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देकर विशेष सामान्य सभा की बैठक बुलाने की सलाह दी थी। इसके बाद भी बैठक को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया था।
इस प्रावधान के तहत तय कराई तिथि
अधिनियम की धारा 30 के तहत सभापति के निर्देश पर 15 दिन के भीतर बैठक बुलाने का प्रावधान है। इस नियम का पालन नहीं किए जाने पर अधिनियम में धारा 29 (2) के तहत आला अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप का प्रावधान है। जिसके मुताबिक संभाग आयुक्त को बैठक बुलाने का अधिकार अथवा निर्देशित करने का अधिकार है।
अधिनियम की धारा 30 के तहत सभापति के निर्देश पर 15 दिन के भीतर बैठक बुलाने का प्रावधान है। इस नियम का पालन नहीं किए जाने पर अधिनियम में धारा 29 (2) के तहत आला अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप का प्रावधान है। जिसके मुताबिक संभाग आयुक्त को बैठक बुलाने का अधिकार अथवा निर्देशित करने का अधिकार है।
13 दिसंबर की तिथि तय दुर्ग संभाग के उपायुक्त केके अग्रवाल ने बताया कि नगर निगम के कमिश्नर को बुलाया गया था। उन्हें प्रावधान के अनुरूप बैठक की तिथि तयकर बताने के लिए कहा गया। इस पर उन्होंने 13 दिसंबर की तिथि तय कर बैठक बुलाने की बात कही है।