वर्ष 2015 में बढ़ाई गई थी कीमत
इससे पहले वर्ष 2015 में आखिरी बार जमीन की कीमतों में बढ़ोतरी की गई थी। इसके बाद दर में विसंगति और राजस्व में कमी को देखते हुए वर्ष 2016 में इसी तरह जमीन की कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया गया था। पिछले दो साल से कोरोना का रीयल एस्टेट कारोबार में असर रहा है। इसे देखते हुए इस बार कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया गया था।
हर साल कीमत तय करने का नियम
जिला पंजीयक कुमार भूआर्य ने बताया कि हर साल भूमि व भवन की खरीदी-बिक्री पर लगने वाले रजिस्ट्री (मुद्रांक) शुल्क के लिए सरकारी गाइड लाइन (कीमत) तय किया जाता है। इसमें उपयोगिता व डिमांड के अनुसार ग्रामीण, शहरी, कृषि भूमि, भूखंड, मकान आदि के अलग-अलग सरकारी कीमत तय की जाती है। इसी के आधार पर पूरे साल खरीदी बिक्री की रजिस्ट्री के लिए शुल्क वसूल किया जाता है।