वर्ष – पौधों की संख्या
2016- 75,000
2017- 14, 26,000
2018 – 4,25,000
2019 – 4,65,000
2020 – 5,00,000
योग – 28, 91,000 बंटवारे के बाद वनविहीन हो गया जिला
वर्ष 2010 से पहले दुर्ग जिले में मौजूदा बालोद व बेमेतरा का इलाका भी था। अब ये विभाजित होकर अलग जिले बन गए हैं। इसमें जिले का वन क्षेत्र बालोद के हिस्से में चला गया। इसके बाद से जिला वन विहीन हो गया है। वर्ष 2017 में पौधरोपण का विशेष अभियान चलाया गया। इसके तहत 146 हेक्टेयर खाली जमीन और 10 किमी सड़क के किनारे 14.26 लाख पौधे रोपे गए। अकेले वन विभाग द्वारा 7.42 लाख और बीएसपी द्वारा 2 लाख पौधे रोपे गए। जिला प्रशासन द्वारा विभागों और पंचायतों के सहयोग से शेष पौधे रोपे गए।
जिले में पिछले साल भी अभियान चलाकर करीब 5 लाख पौधे लगवाए गए। कलेक्टर की पहल पर हर घर पौधा नाम से विशेष अभियान चलाया गया। इसके तहत एक दिन में जिले के 4 लाख से ज्यादा घरों में लोगों को प्रेरित कर पौधे लगवाए गए। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत पौधे लगाए गए, वहीं वन विभाग ने भी अलग से पौधे लगाए।
वन विभाग से जुड़े अफसरों के मुताबिक राज्य निर्माण के बाद से प्रदेश में लगातार पौधरोपण अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत अधिकतर फोकस सड़कों के किनारे पौधरोपण पर रहा। यदि इतने सालों में रोपे गए आधे पौधे सहेजकर रख लिए जाते तो जिले की आधी सड़कों पर हरियाली की चादर बिछ जाती।
इन्हीं अभियानों के तहत दुर्ग के नगपुरा में एक लाख और धमधा के कोडिय़ा और देऊरझाल में 75 हजार से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। वर्ष 2016-17 में निकुम विनायकपुर इलाके में नदी के किनारे पौधे रोपे गए हैं। यहां देखभाल व सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था के कारण अधिकतर पौधे अब पेड़ों में तब्दील हो गए हैं।
नगर निगम द्वारा भी हर साल अभियान चलाकर पौधरोपण कराया जाता है, लेकिन इस पौधों को बचाने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसके चलते पौधे बच नहीं रहे हैं। दो साल पहले निगम प्रशासन द्वारा मिनी वन की तर्ज पर जगहों पर घेरा लगाकर पौधरोपण कराया गया था, लेकिन अब यहां पौधे नहीं है। इस बार अब तक पौधरोपण की तैयारी नहीं हो पाई है। सच्चिदानंद आलोक सीईओ जिला पंचायत ने बताया कि पौधरोपण के साथ सुरक्षा पर भी फोकस किया जा रहा है। इसके चलते पिछले साल रोपे गए अधिकतर पौधे सुरक्षित है। जो पौधे खराब हो गए उन्हें रिफ्लेस भी किया जा रहा है। सुरक्षा पर ज्यादा फोकस हो इसलिए फलदार पौधों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इस बार भी पौधरोपण किया जाएगा। जहां पौधरोपण किया जाएगा वहां उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।