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गुरू तत्व देहरी का दीपक, अंदर-बाहर दोनों को करता है प्रकाशित – साध्वी लब्धियशाश्री

locationदुर्गPublished: Jul 16, 2019 10:18:00 pm

Submitted by:

Hemant Kapoor

महापुरूषों ने शास्त्र में देव, गुरू और धर्म तत्व का ज्ञान कराते हुए गुरू तत्व को मध्य में रखा। गुरू तत्व देहरी के दीपक की तरह है जो अंदर-बाहर दोनों को प्रकाशित करता है।

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गुरू तत्व देहरी की दीपक, अंदर-बाहर दोनों को करता है प्रकाशित – साध्वी लब्धियशाश्री

दुर्ग. महापुरूषों ने शास्त्र में देव, गुरू और धर्म तत्व का ज्ञान कराते हुए गुरू तत्व को मध्य में रखा। गुरू तत्व देहरी के दीपक की तरह है जो अंदर-बाहर दोनों को प्रकाशित करता है। गुरू पुण्यमूर्ति है, पुरूषार्थ मूर्ति है और प्रेरणामूर्ति भी। गुरू कृपा से ही मान्यताओं में बदलाव कर, वर्तन में परिवर्तन कर व्यक्ति अपने जीवन को शुद्ध बनाता है। पाश्र्व तीर्थ नगपुरा में धर्मसभा में गुरू पूर्णिमा पर प्रकाश डालते हुए साध्वी लब्धियशाश्री ने उक्त बातें कही।

परमात्मा बनने की हो प्रतिस्पर्धा
गुरू ही वह तत्व है जो हमें धर्म का ज्ञान कराकर परमात्मा के पथ पर चलने, परमात्मा के सिद्धांतों का अनुसरण करने और परमात्मा जैसे बनने की प्रेरणा देते हैं। प्रतिस्पर्धा की दौर में हमारी प्रतिस्पर्धा आत्मा से महात्मा और महात्मा से परमात्मा बनने की होनी चाहिए। सही दिशा में की गई प्रतिस्पर्धा जीवन के लिए कल्याणकारी होती है।

देशभर से पहुंचे आराधक
गुरू पूर्णिमा पर तीर्थ में देशभर से पूनम आराधक पहुंचे। इनमें सुजालपुर, मुम्बई, कलकत्ता, मेरठ, ऋषिकेश, रायपुर, कांकेर, गोंदिया, विशाखापट्टनम के आराधक शामिल थे। तीर्थ अध्यक्ष गजराज पगारिया ने आराधकों का स्वागत किया। श्राविका स्मिता बेन मयूर भाई सेठ भरूच ने तीर्थपति की मंत्रोच्चार के साथ महाभिषेक किया।

गुरू कृपा से खुलते है, सौभाग्य के व्दार
आनंद मधुकर रतन भवन में धर्मसभा को साध्वी किरणप्रभा, विचक्षणश्री, अपृताश्री, रत्नज्योति ने संबोधित किया। साध्वी विचक्षणश्री ने कहा कि भगवान महावीर की तरह वर्तमान युग में सदगुरू आत्मदर्शन कराने के लिए अनंत करूणा लेकर आते हैं। जब गुरू चरणों में शिष्य आता है तो गुरूकृपा से सौभाग्य के व्दार खुल जाते है।

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