विवि के लिए उत्तरपुस्तिका जांच, पेपर सेटिंग सरीखे कार्य करने वाले वरिष्ठ प्रोफेसरों को तो टीबीएफ की जानकारी है, लेकिन पिछले कुछ साल पहले पीएससी से चयनित होकर आए सहायक प्राध्यापकों को फंड के बारे में पता नहीं है। यही वजह है कि फंड से फायदा लेने कोई सामने नहीं आया। विवि ने भी इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी
नहीं की।
पत्रिका ने जब इस संबंध में वरिष्ठ प्रोफेसरों से चर्चा की तो पता चला कि प्रदेश में हर विवि इस मद से रुपए लेता है, लेकिन इसका फायदा नहीं पहुंचाता। विवि यदि चाहे तो इस राशि से प्रति वर्ष टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम जैसे कार्य कर सकता है। राशि के सही उपयोग से शिक्षा गुणवत्ता में भी मदद मिलेगी। यह राशि १० हजार रुपए से लेकर लाखों रुपए तक मिल सकती है। राशि अधिक होने पर कम से कम ब्याज विवि लेता है, लेकिन जरूरतमंद की त्वरित मदद मिलती है। विवि ३ फीसदी राशि टीए बिलों को छोड़कर हर मद से काटता है।
हेमचंद विवि का पारिश्रमिक देयक यानी रेम्युनरेशन बिल पत्रिका के पास मौजूद है, जिसमें सबसे नीचे कुल पारिश्रमिक का ३ फीसदी टीबीएफ फंड में जमा होने के बाद ही भुगतान किए जाने का जिक्र मिलता है। ऐसा ही बिलासपुर और रविवि के बिलों में भी उल्लेख है। विवि टीबीएफ की राशि काटने के लिए पूरी जानकारी दे रहे हैं, लेकिन उस फंड का फायदा देने आवेदन व योजना की जानकारी कभी जाहिर नहीं की।
इस संबंध में कुलसचिव हेमचंद यादव विवि डॉ. सीएल देवांगन का कहना है कि टीबीएफ फंड से मदद पाने अभी तक एक भी आवेदन नहीं मिला। इस वजह से यह राशि विवि के पास ही जमा है। आवेदन आएंगे तो हम भुगतान जरूर करेंगे।