अधिवक्ता सौरभ चौबे ने बताया कि बाल संप्रेक्षण गृह में लगातार उपद्रव की घटनाएं हो रही है। वर्ष 2017 में एक अपचारी पार्थ साहू की हत्या भी हुई थी। इसी घटना में एक अपचारी गंभीर रुप से घायल भी हुआ था। दोनों अपचारी के परिजनों ने हाईकोर्ट में व्यवस्था में सुधार लाने और अपचारी की मौत होने पर शासन से क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की मांग की है। याचिका में तीन बड़ी घटनाओं को आधार बनाया गया है। याचिका अलग-अलग प्रस्तुत किया गया है, लेकिन हाईकोर्ट दोनों याचिका की सुनवाई संयुक्त रुप से कर रहा है। एक अक्टूबर को दो घंटे सुनने के बाद हाईकोर्ट ने स्वंतत्र कमेटी बनाकर जांच प्रतिवेदन मांगा है।
12 जुलाई 2016- बाल संप्रेक्षणगृह के अपाचारियों ने नशे की हालत में जमकर उत्पात मचाया था। किशोर न्यायालय की तत्कालीन न्यायाधीश मोहनी कवर के सामने सुनवाईमें उपस्थित सिपाही पर चाकू से पहले हमला किया गया था। दो अन्य कर्मचारियों पर वार कर उन्हें भी घायल कर दिया। समझाईश देने संप्रेक्षणगृह पहुंचे तत्कालीन कलक्टर, एसपी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश के सामने अपचारी बच्चे चाकू लहराते हुए सिलेण्डर को ब्लास्ट करने की धमकी देने लगे थे।
1 नवंबर 2017 : बाल संप्रेक्षणगृह के प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह में मामूली बातों को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ था। विवाद बढऩे पर नशे में धुत दो युवकों ने दर्जन भर अपचारी बच्चों की पिटाई की और भाग निकले। दूसरे दिन भागे बच्चे वापस पहुंचे और फिर से विवाद करने लगे। इस दौरान आधी रात मार खाने वाले बच्चे एक जुट हुए और दोनों की जमकर पिटाई कर दी। इस घटना में उपचार के दौरान एक अपचारी की मौत हो गई थी।
9 दिसंबर 2018 : बाल संप्रेक्षणगृह में अपाचारी एकजुट हुए और उपद्रव करने लगे। ड्यूटी करने वाले नगर सैनिक की पिटाई की। आधा सैकड़ा उपद्रवी बच्चों ने पूरा संप्रेक्षणगृह को अपने कब्जे में लिया और पथराव करने लगे। इस दौरान अपचारी बच्चों ने आलमारी में रखे दस्तावेजों को भी जला दिया। तत्कालीन कलक्टर और एसपी समेत न्यायाधीश बाल संप्रेक्षण गृह पहुंचे। दो दिनों के बाद जैसे तैसे माहौल शांत हुआ।
1. अधिवक्ता संतोष शर्मा का कहना है कि मुझे सदस्य बनाए जाने की जानकारी है। बाल संप्रेक्षण गृह जाने और वहां की जांच करने के लिए अधिकार पत्र की आवश्यक्ता है, वह मुझे प्राप्त नहीं हुआ है। पृथक से एक तरह का आदेश होना चाहिए।
2. अधिवक्ता सचिन सिंह राजपूत का कहना है कि उन्हें आज ही आदेश मिला है। हाईकोर्ट ने 1 अक्टूबर को आदेश जारी किया है। अन्य सदस्यों को जानकारी है कि नहीं इस बात से मै अनजान हूं। हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा।